गणेश चतुर्थी जिसे विनायक चतुर्थी और गणेश उत्सव के नाम से भी जानते हैं, हर साल इसे काफी धूम-धाम के साथ भारत में मनाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा महत्व इसका मुंबई में है, कहते हैं गणेश चतुर्थी की शुरुआत मुंबई से ही हुई है, यहां गणपति में रौनक अलग ही होती है। लालबाग के राजा से लेकर बॉलीवुड तक के गणपति, गणेश चतुर्थी के अवसर पर आम जनता क्या बॉलीवुड स्टार्स भी अपने घर गणेश जी की प्रतिमा लाते हैं। लेकिन अगर सबसे अमीर और सबसे भव्य सजावट की बात करें तो माटुंगा में स्थित गणपति पंडाल सबसे आगे है. यहां बीते सात दशकों से लगातार गणेशोत्सव मनाया जा रहा है और हर साल बप्पा की शोभा और वैभव में और इज़ाफा होता है.
इस बार आयोजन की सबसे खास बात यह है कि विघ्नहर्ता गणपति बप्पा को 267 किलो सोने के आभूषणों से सजाया गया है. इतना ही नहीं, बप्पा का सिंहासन भी अत्यंत भव्य है, जिसे 350 किलो चांदी से तैयार किया गया है. जब भक्तजन बप्पा के दरबार में पहुंचते हैं, तो उनकी छटा देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.
भक्तों की आस्था का आलम यह है कि हर साल मुंबई में लालबाग के राजा के बाद सबसे अधिक भीड़ जीएसबी सेवा मंडल गणपति में उमड़ती है. यहां न केवल मुंबईकर, बल्कि देश के कोने-कोने से श्रद्धालु बप्पा का आशीर्वाद लेने आते हैं.
इतने का करवाया है बीमा
मुंबई के किंग्स सर्कल स्थित GSB सेवा मंडल ने इस साल गणेशोत्सव के लिए 474.46 करोड़ रु का बीमा करवाया है, जो अब तक का सबसे बड़ा बीमा है। पिछले साल ये बीमा 400 करोड़ रु का था, और 2023 में 360.40 रु करोड़ का। बीमा राशि में बढ़ोतरी का कारण सोने-चांदी के गहनों की कीमत बढ़ना और नए पुजारियों, स्वयंसेवकों (वॉलंटियर्स) को शामिल करना बताया गया है। यह बीमा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने किया है।
474.46 करोड़ का बीमा किन-किन चीजों को कवर करता है?
- 375 करोड़: स्वयंसेवकों, पुजारियों, रसोइयों, सुरक्षा गार्ड्स आदि के लिए दुर्घटना बीमा (पर्सनल एक्सिडेंट)
- 67 करोड़: गणपति जी के सोने-चांदी के गहनों के लिए (पिछले साल 43 करोड़ रु का था)
- 30 करोड़: पब्लिक लायबिलिटी इंश्योरेंस (भीड़ के कारण किसी को नुकसान या हादसा हो जाए तो उसका कवर)
- 2 करोड़: आग या भूकंप जैसी आपदा के लिए
- 43 लाख: पंडाल की जगह के लिए विशेष बीमा
इस साल गणपति बप्पा को 66 किलो सोने और 336 किलो चांदी से सजाया जाएगा।
GSB सेवा मंडल किंग्स सर्कल (मुंबई) के बारे में
यह मंडल माटुंगा के किंग्स सर्कल में स्थित है और गौड़ सारस्वत ब्राह्मण समुदाय के लिए खास महत्व रखता है। गणपति की मूर्ति शाडू मिट्टी (eco-friendly मिट्टी) से बनती है, जो पर्यावरण के अनुकूल होती है। रंग भी प्राकृतिक होते हैं। यहां रिकॉर्डेड म्यूजिक नहीं बजाया जाता। ट्रेडिशनल दक्षिण भारतीय मंदिरों के वाद्य यंत्रों से पूजा होती है। लोग इस गणपति को “नवसाला पावणारा, विश्वाचा राजा” कहते हैं, यानी जो भी मन्नत मांगता है, वो पूरी होती है।
जीएसबी की है अनोखी परंपरा
जीएसबी गणेश उत्सव अपनी कई अनोखी परंपराओं और अनुष्ठानों के लिए मशहूर है। इसमें ‘तुलाभार’ जैसा एक प्राचीन हिंदू अनुष्ठान आता है, जिसमें व्यक्ति को उनकी मर्जी से खाने की चीजों से तोला जाता है और फिर इन चीजों को दान में दे दिया जाता है। ये खाने की चीजें महाप्रसाद बनाने के काम आती हैं। एक और अनोखा अनुष्ठान ‘मढ़स्थान’ है, जिसमें लोग केले के पत्तों पर बेचे हुए खाने लौटते हैं, जिसे एक आशीर्वाद मानते हैं। गणपति भगवान की सुबह की पूजा होने के बाद पंडाल में नारियल तोड़ने की परंपरा है, इन टूटे हुए नारियल को भक्तों को प्रसाद के रूप में देते हैं।
सालों से चली आ रही परंपरा
70 वर्षों से चली आ रही इस परंपरा ने माटुंगा के गणपति को एक अनोखी पहचान दी है. बप्पा का यह दरबार न केवल मुंबई, बल्कि पूरे देश के लिए श्रद्धा, विश्वास और समृद्धि का प्रतीक बन चुका है. हर साल यहां आने वाले भक्त अपने जीवन की खुशहाली और परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं.
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