प्रतीक चौहान. रायपुर. Chhattisgarh Medical Services Corporation Ltd. के अधिकारियों की एक बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया है. विभाग के अधिकारियों को इस करीब 27 करोड़ के टेंडर में हुई गलती बहुत अच्छे से पता है. हैरानी की बात ये है कि न केवल पता है, बल्कि कागजों में लिखित भी है. लेकिन शायद इसके बाद भी अधिकारियों की मजबूरी आंखे बंद करने की है और यही कारण है कि अब इस मामले में एक शिकायत विभाग के पास पहुंची है, जिसके बाद इंतेजार है कि पूरे मामले में कार्रवाई होगी.
हुआ दरअसल कुछ यू है कि बिलासपुर के कोनी में कैंसर अस्पताल बनना है. जिसके निर्माण का टेंडर विभाग ने निकाला. सीजीएमएससी के अधिकारी कितने कर्मठ है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे टेंडर खोलने के लिए जन्माष्टमी की छुट्टी के दिन भी दफ्तर पहुंच गए. टेंडर खोल लिया, बात यही नहीं रूकी. आए टेंडरों में से 1 कंस्ट्रक्शन कंपनी को अपात्र कर दिया. अपात्र करने की वजह एक दस्तावेज को बताया गया. अपात्र होने के बाद उक्त कंस्ट्रक्शन कंपनी ने जब इसकी शिकायत की और कहा कि जिस दस्तावेज के कारण उसे अपात्र बताया जा रहा है वो दस्तावेज आवेदन का साथ उन्होंने जमा किया है.
सीजीएमएससी के अधिकारियों ने इसकी जांच की तो ये साबित हो गया कि ठेकेदार सही कह रहा है. इसके बाद विभाग ने तर्क दिया कि वो दस्तावेज Download ही नहीं हुआ. यानी ये स्ष्ट हो गया कि अधिकारियों को ये पता था कि दस्तावेज है और ये डाउनलोड नहीं हो रहा है, या अपात्र करने के लिए दस्तावेज डाउनलोड न होने की बात कही गई. ये तो जांच का विषय है. लेकिन अब इस पूरे मामले में एक शिकायत की गई है.
वहीं ठेका कंपनी को अपात्र घोषित किया गया था उसने कोर्ट न जाने और उसे इस टेंडर प्रक्रिया से कोई आपत्ति न होने की बात कही है.
इस संबंध में सीजीएमएससी का पक्ष जानने एमडी से संपर्क किया गया. लेकिन उन्होंने फोन का जवाब नहीं दिया.