अजय शर्मा,भोपाल। देश में टाइगर के लिए सबसे मुफीद माने जाने वाले “टाइगर स्टेट्स” के रूप में पहचान बनाने वाले मध्य प्रदेश में टाइगरों की मौत के मामले में बड़ा झटका लगा है. एमपी में टाइगरों की लगातार मौतों के मामले को लेकर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) बेहद नाराज है. देश में पिछले 6 महीने में मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 27 टाइगरों की मौत हुई है, जो देश में सबसे ज्यादा है. जनवरी से लेकर 15 जुलाई तक पूरे देश में 74 बाघों की मौत हुई है. बाघों की मौत के कारण अलग-अलग है. एनटीसी के मुताबिक बाघों के संरक्षण और संवर्धन में कई स्तर पर खामियां सामने आई है.
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे का कहना है कि प्रदेश में बाघों की मौत की समस्या अभी नहीं बल्कि पिछले 10 साल से बनी हुई है. मध्य प्रदेश में देश भर से ज्यादा बाघ हैं और यही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रही है. साल 2013 के बाद यह सिलसिला जारी है. दुबे ने ना सिर्फ बाघों की मौत का कारण भी बताया, बल्कि विभाग की खामियां भी बताई.
उन्होंने कहा कि वन विभाग का अमला पेट्रोलिंग और सर्विलांस जैसी व्यवस्था को दुरुस्त करने में विफल रहा है. कई राज्यों ने टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स भी बनाई है, लेकिन मध्यप्रदेश में यह व्यवस्था लागू नहीं है. इसके अलावा कोर्ट में जो भी मामले शिकार संबंधी जाते हैं. उनकी पैरवी कमजोर होने के चलते शिकारी आसानी से छूट जाते हैं. जिससे उनका दुस्साहस बढ़ता है. लगातार शिकार के मामले भी सामने आ रहे हैं.
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