
अमित पांडेय, खैरागढ़. खैरागढ़ में पहली बार पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए तीन दिवसीय ‘ऑक्टेव-25’ महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) और लोक संगीत एवं कला संकाय, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ के संयुक्त तत्वावधान में 21 से 23 मार्च तक आयोजित इस उत्सव में पूर्वोत्तर राज्यों की नृत्य, हस्तशिल्प और व्यंजन परंपरा को करीब से देखने का अवसर मिलेगा.

इस सांस्कृतिक महोत्सव का शुभारंभ आज शाम 5:30 बजे छत्तीसगढ़ के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रमेन डेका के मुख्य आतिथ्य में होगा. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति सत्य नारायण राठौर करेंगे, जबकि दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर की निदेशक आस्था कार्लेकर विशिष्ट अतिथि होंगी. तीन दिवसीय इस आयोजन का समापन 23 मार्च को होगा, जिसमें एक विशिष्ट अतिथि की उपस्थिति तय मानी जा रही है.

भारत के आठ पूर्वोत्तर राज्य – असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा की सांस्कृतिक विविधता को प्रोत्साहन और संरक्षण देने के उद्देश्य से संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार देश के विभिन्न शहरों में ‘ऑक्टेव’ महोत्सव का आयोजन करता है. इसी श्रंखला में पहली बार खैरागढ़ को इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनने का अवसर मिला है.

तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में 280 से अधिक कलाकार अपने पारंपरिक नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से लोगों को पूर्वोत्तर भारत की अनूठी विरासत से परिचित कराएंगे. मंच पर मणिपुर का ढोल चोलम, पुंग चोलम, बसंत रास, चेरोल जगोई और थाँग-टा, असम का रंगीला बिहू, डाओसरी डेलाई और झूमोईर, त्रिपुरा का होजागीरी, नागालैंड के नजाता और ओ नोक्षी नृत्य, मेघालय का वान्गला और का-शाद-मस्तेह, अरुणाचल प्रदेश का टप्पु और गास्यो स्यो नृत्य, मिजोरम का चेराव नृत्य और सिक्किम का तामाङ सेलो जैसे पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए जाएंगे.
महोत्सव में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ पूर्वोत्तर राज्यों के आकर्षक हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजनों का भी विशेष आयोजन किया गया है. विश्वविद्यालय परिसर में शाम 4:00 बजे से रात 9:30 बजे तक चलने वाले इस मेले में पूर्वोत्तर के बांस, लकड़ी, कपड़े और मिट्टी से बने विशेष हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री होगी. साथ ही, यहां आने वाले लोग नूडल्स, मोमोज, थुक्पा और चावल आधारित पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद भी चख सकेंगे.
मंचीय प्रस्तुतियां हर दिन शाम 6:30 बजे से रात 9:30 बजे तक होंगी, जबकि हस्तशिल्प और व्यंजन मेला दोपहर 4:00 बजे से रात 9:30 बजे तक चलेगा.
खैरागढ़ में पहली बार आयोजित हो रहे इस अनूठे सांस्कृतिक उत्सव को लेकर शहर में उत्साह का माहौल है. आयोजकों ने नागरिकों से अपील की है कि वे बड़ी संख्या में उपस्थित होकर पूर्वोत्तर की रंगारंग संस्कृति का आनंद लें. कार्यक्रम में प्रवेश पूरी तरह निःशुल्क है, और इसमें सभी नागरिकों को आमंत्रित किया गया है.
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