चंडीगढ़। पूरे देश में कोयले का संकट गहरा गया है. कोयले की कमी के कारण पंजाब में 3 थर्मल पावर स्टेशन बंद हो गए हैं. केरल में 4 और महाराष्ट्र में 13 थर्मल पावर स्टेशन बंद हो चुके हैं. इधर बंजली संकट के डर से पंजाब, दिल्ली और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार से कोयले की आपूर्ति बढ़ाने का अनुरोध किया है.

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पंजाब के हालात

 

पंजाब में तीन थर्मल पावर प्लांटों को बंद करने के लिए मजबूर किया गया है और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र से राज्य को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने का अनुरोध किया है. 5,620 मेगावाट की स्थापित क्षमता के मुकाबले राज्य के थर्मल पावर प्लांट वर्तमान में केवल 2,800 मेगावाट ही पैदा कर पा रहे हैं. कोयले की कमी के कारण पंजाब में लहर मोहब्बत, रोपड़ (रूपनगर), राजपुरा, तलवंडी साबो और गोइंदवाल साहिब सहित ताप विद्युत संयंत्र केवल एक से चार दिनों के लिए बिजली पैदा कर सकते हैं.

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पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) को निजी फर्मों और पड़ोसी राज्यों से विनिमय के आधार पर बिजली खरीदने के लिए मजबूर किया गया है. कोयले की कमी ने पीएसपीसीएल को तीन से छह घंटे तक बिजली कटौती का सहारा लेने के लिए मजबूर किया, जिससे राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए.

 

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखी थी चिट्ठी

 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली के बिजली प्लांटों में कोयले की कमी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM narendra modi) को पत्र लिखा है. सीएम केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में बिजली संकट की समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री मोदी से इस मामले में व्यक्तिगत हस्तक्षेप करने की अपील की है. उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से मामले में दखल देने की गुजारिश की और तीन मांग की. सीएम केजरीवाल ने कहा कि दूसरे पावर प्लांट से कोयला दादरी और झज्जर पावर प्लांट भेजी जाए. दूसरी मांग ये कि दिल्ली के गैस आधारित पावर प्लांट को पर्याप्त गैस दी जाए, साथ ही इलेक्ट्रिसिटी एक्सचेंज में मुनाफाखोरी ना हो, इसके लिए प्रति यूनिट बिजली बेचने का अधिकतम रेट तय किया जाए.

 

महाराष्ट्र के ऊर्जा विभाग ने लोगों से बिजली बचाने की अपील की

 

महाराष्ट्र के ऊर्जा विभाग ने लोगों से बिजली बचाने का आग्रह किया है. केरल सरकार ने भी चेतावनी दी है कि उन्हें लोड-शेडिंग का सहारा लेना पड़ सकता है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया ताकि कोयले और गैस को बिजली की आपूर्ति करने वाले संयंत्रों की तरफ मोड़ा जा सके.

 

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कोयले की कमी की बात से किया इनकार

इधर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने रविवार को कहा कि दिल्ली में बिजली की कोई कमी नहीं है. उन्होंने आश्वासन दिया कि आगे भी कोयले की आपूर्ति बनी रहेगी. आर के सिंह ने कहा कि देश प्रतिदिन कोयले की औसत जरूरत से 4 दिन आगे है और इस मुद्दे पर एक बेकार की दहशत पैदा की जा रही है.

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इस पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एक ओर देश पर कोयला संकट और ऊर्जा संकट मंडरा रहा है. इस पर ध्यान देने के बजाय केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है और बेहद बेशर्मी से राज्य सरकारों की कोयला संकट को लेकर की गई अपीलों को अफवाह बता रही है. केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ये कह रहे हैं कि देश में कोयले का संकट नहीं है. मनीष सिसोदिया ने कहा कि ये बेहद दुःख की बात है कि केन्द्रीय मंत्री इतने गैर-जिम्मेदार बने हुए हैं. जब देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को आगाह कर रहे हैं कि देश को आने वाले संकट से बचाएं, तो उस दौरान केन्द्रीय उर्जा मंत्री कह रहे हैं कि कोई संकट नहीं है और ये भी कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कोयले के संकट को लेकर प्रधानमंत्री को चिट्ठी नहीं लिखनी चाहिए थी.

क्या कहता है आंकड़ा ?

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, देश थर्मल प्लांटों में कोयले के भंडार की कमी का सामना कर रहा है, जिससे बिजली संकट पैदा हो सकता है. 5 अक्टूबर को बिजली उत्पादन के लिए कोयले का उपयोग करने वाले 135 ताप संयंत्रों में से 106 क्रिटिकल या सुपरक्रिटिकल चरण में थे. यानी उनके पास अगले 6-7 दिनों के लिए ही स्टॉक था.

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कोयला मंत्रालय ने कहा कि देश में पर्याप्त कोयले का भंडार है और कम इन्वेंट्री का मतलब यह नहीं है कि बिजली उत्पादन बंद हो जाएगा, क्योंकि स्टॉक की लगातार भरपाई की जा रही है.