हेमंत शर्मा, इंदौर। शहर के राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र में जिस तरह कॉलोनाइजरों ने नियमों को रौंदते हुए अवैध निर्माण कराया, उसने 3 निर्दोष मजदूरों की जान ले ली। सवाल ये है कि जब पुलिस ने डेवलपर, ठेकेदार और सुपरवाइजर पर केस दर्ज कर लिया, तो आखिर कॉलोनाइजर आकाश सचदेवा और उसका पार्टनर बलविंदर सिंह छाबड़ा क्यों अब तक बचाए बैठे हैं? हादसे की वजह साफ है- कॉलोनाइजरों ने तकनीकी नियमों को ठेंगा दिखाकर सस्ते और घटिया तरीके से ड्रेनेज टैंक बनवाया। बिना बीम और कॉलम के 25 फीट लंबी और 14 फीट ऊंची दीवार खड़ी कर दी गई।
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बारिश में भी मजदूरों से जबरन काम करवाया गया और मिट्टी दीवार के पास भर दी गई। नतीजा दीवार गिर गई और 3 मजदूर दबकर मर गए। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि मजदूरों की जिंदगी से खिलवाड़ है। पुलिस की FIR में साफ लिखा गया कि डिजाइन और सुरक्षा मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं। बावजूद इसके, कॉलोनाइजरों का नाम तक FIR में नहीं जुड़ा।
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स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि कॉलोनाइजर आकाश सचदेवा और बलविंदर सिंह छाबड़ा ने मोटी रकम का खेल कर मामला दबाने की कोशिश की। यही वजह है कि मजदूरों की मौत के बावजूद पुलिस कॉलोनाइजरों पर हाथ डालने से बच रही है। और तो और, जब आकाश सचदेवा से संपर्क किया गया तो उसने फोन तक नहीं उठाया। उसके पार्टनर छाबड़ा ने खुद को अमृतसर में बता दिया और हादसे से कोई लेना-देना नहीं होने की बात कह दी। मजदूर मरते रहे, लेकिन कॉलोनाइजरों को कोई फर्क नहीं पड़ा। अब सबसे बड़ा सवाल – मजदूरों की जान लेने वाले इन कॉलोनाइजरों पर कार्रवाई कब होगी? क्या पैसे और रसूख के दम पर ये हमेशा बचते रहेंगे?
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