रायपुर। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कोरबा जिले के हसदेव अरण्य के सघन वन क्षेत्र के ग्राम मोरगा में विशाल सम्मलेन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में कोरबा, सरगुजा सहित 30 गाँव के ग्रामीण शामिल हुए. सम्मलेन में उपस्थित ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि – हसदेव अरण्य की ग्रामसभाएं अब किसी भी कीमत पर इस वन क्षेत्र के विनाश की अनुमति नही देंगी. हम राज्य व केंद्र सरकार को आगाह करते हैं की खनन परियोजना के खोलने हेतु चलाई जा रही सभी प्रक्रियाओं पर तत्काल रोक लगा दी जाये. सरकार एक तरफ पर्यावरण को बचाने की बात करती हैं वही दूसरी ओर अदानी जैसी कंपनियों के लिए छत्तीसगढ़ के सबसे महत्वपूर्ण वन क्षेत्र को खत्म करवा रही हैं. यह क्षेत्र सिर्फ हमारे अस्तित्व नही बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के वर्षा और पर्यावरण के लिए आवश्यक हैं.

नंदकुमार कश्यप ने कहा कि एक तरफ दुनिया वैकल्पिक उर्जा की और तेजी से बढ़ रही हैं वहीं दूसरी ओर हम कंपनियों के मुनाफे के लिए हसदेव जैसे क्षेत्र में खनन की अनुमति दे रहे हैं. जंगलों के विनाश से तापमान में लगातार बढ़ोतरी होती रही इससे न सिर्फ गिलेसियर पिघलेंगे बल्कि असमय वर्षा से खेती और वनों की उत्पादकता कम होगी.  इससे पूरी दुनिया की आबादी के सामने भोजन का संकट भी खड़ा होगा. समाजवादी किसान नेता आनंद मिश्रा ने कहा कि  – गांधी जी ने कहा है कि इस पृथ्वी के पास हम सबके लिए अच्छा जीवन जीने का पूरा साधन है, परंतु कुछ लोगों के लालच के कारण यह धरती बंजर हो सकती है. आज हम उस बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां पूरे समाज को चंद लोगों के लालच के खिलाफ लड़ना पड़ रहा है. रमन या मोदी सरकार के विकास में सिर्फ कार्पोरेट जगत के मुनाफे और उनके विकास की चिंता हैं छत्तीसगढ़ का गरीब आदिवासी, किसान मजदूर उनके विकास में शामिल नही हैं.

हसदेव अरण्य संघर्ष समिति के संयोजक उमेश्वर सिंह अर्मो ने कहा की  – मदनपुर साऊथ कोल ब्लॉक आंध्र प्रदेश की सरकार किसी निजी कंपनी के माध्यम से कोयला निकालकर खुले बाजार में बेचेकर मुनाफा कमाएगा अर्थात यह खनन परियोजना बिजली बनाने के लिए नही बल्कि मुनाफा कमाने के लिए हैं. इसी प्रकार से पतुरियाडांड और गिदमुडी खदान छत्तीसगढ़ विधुत उत्पादन कंपनी को भैयाथान बिजली कारखाना में कोयला आपूर्ति के लिए आवंटित की गयी हैं. सच्चाई यह हैं कि राज्य को किसी नए पॉवर प्लांट की न तो जरुरत हैं और न ही राज्य सरकार इस प्लांट को लगाने वाली हैं. फिर सवाल उठाना लाजिमी है की जब प्लांट ही नही लगना हैं तो क्यों खदान खोलने की प्रक्रिया चलाई जा रही हैं ? हसदेव अरण्य जैसे सघन वनक्षेत्र में कंपनियों के मुनाफे और लालच के लिए जंगल – जमीन का विनाश क्यों ?  मोरगा की निवासी क्रिस्टीना ने कहा कि इस वर्ष तेंदू और महुआ के फल कम आने से गाँव वाले चिंतित हैं जब यह वन क्षेत्र ही ख़त्म हो जायेगा फिर क्या होगा. इसलिए हम खदान का विरोध कर रहे हैं. सम्मलेन में भारत जन आन्दोलन से विजय भाई, प्रथमेश मिश्रा, पतुरिया सरपंच चन्द्रवती पैकरा, गिद्मुदी सरपंच बीर सिंह मझवार, मोरगा जनपद सदस्य प्रतिभा उर्रे, एम् मिंज, विलियम कुजूर,  सिस्टर जेसिल और सिस्टर अगस्ता सरगुजा से अजितेश, मंगल साय, शिक्षक सुरेन्द्र सिंह करियाम, देवसिंह करियाम आदि ने संवोधित किया.