शाहजहांपुर. उत्तर प्रदेश में शिक्षा का हाल बेहाल हो गया है. वहीं शाहजहांपुर जिले में संचालित हो रहे कई परिषदीय स्कूलाें में संसाधनों का अभाव है. कई स्कूल जर्जर हो चुके हैं तो फर्नीचर भी नहीं है. ऐसे में ठंड के बावजूद स्कूलों में बच्चे टाट-पट्टी पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर हैं तो अब तक करीब दस प्रतिशत यानी करीब 30 हजार बच्चों को स्वेटर भी नहीं मिल सके हैं. ऐसे में मासूम बच्चे भारी ठंड में ठिठुरते पढ़ने के लिए स्कूल पहुंच रहे हैं.

बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग के जिले में 2720 विद्यालय संचालित हैं. इनमें कुल 3.61 लाख छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं. इनमें से 10 प्रतिशत यानी 30 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के खातों में आधार लिंक न होने के कारण डीबीटी के माध्यम से यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोजों की धनराशि नहीं पहुंची है. वहीं जिन अभिभावकों के खातों में धनराशि पहुंच गई हैं. इनमें से भी तमाम ने अपने बच्चों के लिए यूनिफार्म, स्वेटर और जूते-मोजे खरीदकर नहीं दिए हैं. इस वजह से बच्चे कड़कड़ाती ठंड में ठिठुरते हुए स्कूल पहुंच रहे है. इतना ही नहीं नगर व ग्रामीण क्षेत्र के करीब 30 विद्यालय ऐसे हैं जोकि जर्जर हो चुके हैं. इनमें अधिकांश विद्यालय किराये के भवनों में चलने वाले हैं. इनके कमरों में लगे खिड़की-दरवाजे तक जर्जर हो चुके हैं, जिनके ठंडी हवा सनसनाती हुई अंदर आती है.

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नगर क्षेत्र में महमंद जलालनगर विद्यालय जर्जर स्थिति में है. महमंद जलालनगर स्थित विद्यालय में एक कमरा और बरामदा है. जर्जर होने के कारण इसको तारीन टिकली द्वितीय में शिफ्ट किया गया था, लेकिन वहां भी बच्चों व शिक्षकों के बैठने और मिड-डे-मील के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण फिर से जर्जर भवन में ही संचालित हो रहा है. यहां पर 45 बच्चे पंजीकृत हैं, इनमें से 37 के अभिभावकों के खातों में धनराशि पहुंची है. मोहल्ला भारद्वाजी द्वितीय का विद्यालय भी एक ही कमरे में संचालित है, जोकि पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. बरामदे का लिंटर ही गायब है. ऐसे में बच्चों और शिक्षकों के बैठने तथा मिड-डे-मील के लिए एक ही कमरा है. विद्यालय में कुल 13 बच्चे पंजीकृत हैं.

सांकेतिक फोटो

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