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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि वर्तमान समय में, जब संपूर्ण विश्व आपसी भौतिक प्रतिस्पर्धा से जूझ रहा है, ऐसे में भगवान बुद्ध के शांति और करुणा के संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गए हैं. मानवता के उत्थान और शांति के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए बुद्ध के दिखाए रास्ते का अनुसरण करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी बुद्ध के संदेशों का व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है, जिसके कारण यहां सभी धर्मों के लोग आपसी सौहार्द, भाईचारे और समरसता के साथ जीवन यापन कर रहे हैं.
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मुख्यमंत्री साय आज डोंगरगढ़ के प्रसिद्ध प्रज्ञागिरी तीर्थ स्थल में आयोजित 32वें अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इस आयोजन में देश-विदेश से आए बौद्ध भिक्षु, विद्वान और अनुयायी बड़ी संख्या में उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री साय ने अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ धार्मिक समरसता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है. प्रदेश के प्राचीन बौद्ध स्थलों में सिरपुर का विशेष महत्व है, जहां बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक विरासत आज भी संरक्षित है. इसी प्रकार, उत्तरी छत्तीसगढ़ के मैनपाट क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं और यह क्षेत्र अब एक प्रमुख बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है.
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें पर्यटन भी एक महत्वपूर्ण घटक है. राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता इसे पर्यटन के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनाती है. प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ को एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए सतत प्रयासरत है. इस दिशा में, भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की प्रसाद योजना के तहत भी इस क्षेत्र को शामिल किया गया है, जिससे यहां पर्यटन सुविधाओं का व्यापक विकास हो रहा है.
मुख्यमंत्री साय ने अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन में देश-विदेश से पधारे बौद्ध भिक्षुओं, विद्वानों और अनुयायियों का हृदय से स्वागत करते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया. इस अवसर पर राजनांदगांव लोकसभा सांसद संतोष पाण्डेय एवं प्रज्ञागिरी ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष विनोद खाण्डेकर ने भी सभा को संबोधित किया. कार्यक्रम में प्रज्ञागिरी ट्रस्ट समिति के सचिव शैलेन्द्र डोंगरे, कोषाध्यक्ष सुरेश कुमार सहारे एवं बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी उपस्थित रहे.
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