JAMMU: 20 दिसंबर जम्मू कश्मीर में कटरा की एक अदालत ने वैष्णो देवी के मार्ग में भूस्खलन के कारण हुई 35 तीर्थयात्रियों की मौत के सिलसिले में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध संबंधी याचिका शनिवार को खारिज कर दी। याचिका 26 अगस्त को मंदिर के रास्ते में भूस्खलन में 35 तीर्थयात्रियों की मौत के मामले में दायर की गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह एक प्राकृतिक आपदा के कारण हुआ था। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस फैसले का लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा द्वारा त्रासदी की जांच के आदेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा। याचिका में आरोप लगाया गया था कि श्रीनगर के मौसम विज्ञान केंद्र और जम्मू-कश्मीर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (JKSDMA) द्वारा मौसम संबंधी चेतावनी जारी किए जाने के बावजूद, तीर्थयात्रा को निलंबित नहीं किया गया, जो श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के CEO और अन्य अधिकारियों की आपराधिक लापरवाही थी।

जम्मू-कश्मीर के कटरा स्थित एक कोर्ट ने वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। याचिका 26 अगस्त को मंदिर के रास्ते में भूस्खलन में 35 तीर्थयात्रियों की मौत के मामले में दायर की गई थी। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि यह एक प्राकृतिक आपदा के कारण हुआ था। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि इस फैसले का घटना के तीन दिन बाद लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा द्वारा त्रासदी की जांच के आदेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

मामले की सुनवाई के बाद सब-जज (न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी) कटरा सिद्धांत वैद्य ने याचिका खारिज कर दी, जिसमें पुलिस को BNS की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) और 106 (लापरवाही या लापरवाही भरे कृत्यों से मौत का कारण बनना) के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

पुलिस रिपोर्ट और गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए, कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा के हित में जब भी जरूरत पड़ी, तीर्थयात्रा को समय-समय पर रोका गया और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) का पालन किया गया।

अदालत ने कहा कि ऐसा प्राकृतिक आपदा के कारण हुआ था। कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के अपराध को खारिज कर दिया, यह देखते हुए कि इरादा और लापरवाही मन की अलग-अलग स्थितियां हैं और शिकायत में खुद इरादे के बजाय लापरवाही का आरोप लगाया गया था। अदालत ने कहा अगर शिकायत में कही गई बातों को सच भी मान लिया जाए, तो भी मौसम विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी का पालन न करना प्रशासनिक चूक हो सकती है और इसमें आपराधिक लापरवाही का कोई तत्व मौजूद नहीं है।

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