कोरोना के लिए फाइजर की MRNA वैक्सीन ट्रायल में भाग लेने वाली 40 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को गर्भपात का शिकार होना पड़ा है. एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. फाइजर के इंटरनल दस्तावेजों के अनुसार, जिन्हें हाल ही में अदालत के आदेश के तहत जारी किया गया, इसमें बताया गया कि फाइजर के कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण में भाग लेने वाली 40 प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाओं को गर्भपात का सामना करना पड़ा.

इस चौंकाने वाली खबर के बारे में आरएसएस की संस्था प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय समन्वयक नंदकुमार ने ट्वीट करते हुए कहा कि, भारत का उदारवादी और लुटियंस मीडिया इसी वैक्सीन को आयात किए जाने का दबाव पीएम मोदी पर डाल रहे थे. गनीमत है कि भारत ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन पर विश्वास किया.

फाइजर द्वारा जारी दस्तावेजों से पता चला है कि, वैक्सीन ट्रायल में शामिल होने वाली 50 गर्भवती महिलाओं में से 22 ने अपने बच्चों को खो दिया. डॉ. नाओमी वुल्फ ने इस बात का खुलासा किया. दरअसल वुल्फ अपनी वेबसाइट के माध्यम से फाइजर दस्तावेजों के अनुसंधान और विश्लेषण का अध्ययन कर रहा है. वुल्फ ने कहा कि गर्भपात जैसी प्रतिकूल घटना की कटऑफ रिपोर्ट 13 मार्च 2021 थी और खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने 1 अप्रैल 2021 को रिपोर्ट प्राप्त की.

बता दें कि पिछले साल भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान फाइजर ने अपनी कोरोना वैक्सीन भारतीय बाजार में उतारने के लिए केंद्र सरकार से इजाजत मांगी थी. कंपनी और सरकार के बीच लंबे समय तक इसे लेकर बातचीत चलती रही, लेकिन अगस्त 2021 में यह बताया गया कि मोदी सरकार ने फाइजर को मंजूरी देने से इनकार कर दिया.