मनोज यादव, कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के 40 हजार महिलाओं से फ्लोरामैक्स कंपनी ने अरबों रुपए की धोखाधड़ी की है। इस मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने संज्ञान लिया है। आयोग ने राज्य सरकार को इस मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी से कराने कराकर दोषियों पर कार्रवाई करने और पीड़ित महिलाओं का पैसा वापस कराने के निर्देश दिए हैं। मामले की जांच रिपोर्ट और अब तक की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने कहा है।

बता दें कि पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने 9 दिसंबर 2024 को मामले की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से की थी। शिकायत में बताया गया था कि ग्रामीण महिलाओं को लालच देकर फ्लोरामैक्स कंपनी ने 30-30 हजार लोन निकलवाया और कपंनी में 120 करोड़ निवेश किए थे। उन्होंने मांग की थी कि मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराई जाए, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो और पीड़ित महिलाओं को राहत दी जाए।

13 लोगों की हुई गिरफ्तारी, 10 को जमानत

आयोग ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन से रिपोर्ट तलब की थी। प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने 16 अक्टूबर 2025 को मुख्य सचिव को सुनवाई के लिए बुलाया था। मुख्य सचिव की ओर से बिलासपुर संभाग आयुक्त सुनील कुमार जैन आयोग के सामने उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा। संभाग आयुक्त ने आयोग को बताया कि फ्लोरामैक्स धोखाधड़ी मामले में अखिलेश सिंह द्वारा बनाई गई कंपनी से जुड़े 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से 10 लोगों को जमानत मिल चुकी है। संभाग आयुक्त ने आयोग को बताया कि जांच अधिकारी पीड़ितों का पैसा वापास दिलाने के लिए आरोपियों की संपत्तियों की तलाश कर रहे हैं। कुछ संपत्तियां बरामद भी हुई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले का समाधान जल्द किया जाएगा।

आयोग ने 30 दिनों के भीतर मांगी रिपोर्ट

मामले की सुनवाई के बाद आयोग ने मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट और अब तक की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने कहा है। आयोग ने कहा है कि यह मामला गंभीर वित्तीय अनियमितता और अनुसूचित जनजाति समुदाय की महिलाओं के आर्थिक शोषण से जुड़ा है, इसलिए प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) और न्यायालय में प्रस्तुत चालान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर मामले को समयबद्ध तरीके से सुलझाया जाए। आरोपियों की संपत्तियों को जब्त कर पीड़ित आदिवासी महिलाओं को पैसा वापस दिलाया जाए।

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