फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में साइबर अपराधियों ने एक व्यक्ति को मोबाइल टावर लगवाने का झांसा देकर 42 लाख 63 हजार 500 रुपये की ठगी कर ली। यह मामला गांव जुनहेड़ा निवासी पीड़ित की शिकायत पर सामने आया है। जानकारी के मुताबिक, ठगों ने खुद को इंडस टावर लिमिटेड कंपनी का कर्मचारी बताकर संपर्क किया और फर्जी दस्तावेजों व एग्रीमेंट के जरिए भरोसा जीत लिया। उन्होंने पीड़ित से कहा कि उसके प्लॉट पर मोबाइल टावर लगाया जाएगा, जिससे उसे हर महीने किराया भी मिलेगा। धीरे-धीरे विभिन्न शुल्कों और प्रोसेसिंग फीस के नाम पर आरोपियों ने कुल 42 लाख से अधिक रकम हड़प ली। जब कई हफ्तों बाद भी टावर लगाने का काम शुरू नहीं हुआ और न ही पैसे वापस मिले, तब पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ।

कॉल आई तो शुरू हुआ झांसा

पीड़ित अनिल कुमार ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि 17 अक्तूबर 2024 को उनके मोबाइल पर एक महिला का कॉल आया। महिला ने खुद को इंडस टावर लिमिटेड कंपनी की कर्मचारी ‘अंजली’ बताया। उसने कहा कि कंपनी जियो के मोबाइल टावर लगाने का काम करती है और इसके लिए 20 साल का एग्रीमेंट किया जाता है। अंजली ने बताया कि अगर अनिल कुमार अपनी जमीन पर टावर लगाने की अनुमति देते हैं तो उन्हें हर महीने ₹25,000 किराया, ₹40 लाख एडवांस, और टावर लगने के बाद ₹40 लाख अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा। साथ ही, साइट पर एक व्यक्ति को स्थायी नौकरी देने का भी लालच दिया गया। पीड़ित के अनुसार, आरोपियों ने विभिन्न प्रोसेसिंग चार्ज, एग्रीमेंट फीस और टैक्स के नाम पर उनसे कुल 42.63 लाख रुपये की वसूली कर ली। जब कई दिनों तक न टावर लगा और न ही कोई अधिकारी आया, तब अनिल कुमार को ठगी का अहसास हुआ।

फर्जी दस्तावेजों से बनाया भरोसा

ठग अंजली ने अनिल कुमार से आधार कार्ड, बैंक डिटेल, ईमेल आईडी और जमीन की फोटो मांगी। कुछ ही देर बाद उसने इंडस टावर लिमिटेड के फर्जी लेटरहेड, एग्रीमेंट पेपर, रसीदें, टैक्स फीस स्लिप और टावर इंस्टॉलेशन की रसीदें व्हाट्सएप के जरिए भेज दीं। इसके बाद अंजली ने अनिल को एक और व्यक्ति राहुल का नंबर दिया और कहा कि वह कंपनी का सीनियर मैनेजर है। अंजली ने बताया कि राहुल की बैंक में विदेशी फंड आए हैं, जिनसे टावर लगाने का भुगतान किया जाएगा।

42 लाख रुपए अलग-अलग बहानों से वसूले

पीड़ित अनिल कुमार के मुताबिक, ठगों ने 29 अक्टूबर 2024 से 10 जुलाई 2025 के बीच रजिस्ट्रेशन फीस, जीएसटी, आरबीआई अप्रूवल, स्कूटी डिपॉजिट, स्टांप ड्यूटी, ग्रीन कार्ड चार्ज, पेमेंट ट्रांसफर फीस और कमीशन शुल्क जैसे कई बहानों से पैसे मांगे। इन अलग-अलग शुल्कों के नाम पर आरोपी उनसे कुल ₹42 लाख 63 हजार 500 रुपए ऐंठ ले गए। पूरे दौरान आरोपी व्हाट्सएप पर दस्तावेज और रसीदें भेजते रहे, ताकि अनिल को भरोसा बना रहे और शक न हो।

पुलिस जांच में जुटी, लोगों को चेताया

जब महीनों तक टावर नहीं लगा और ठगों के मोबाइल नंबर बंद आने लगे, तब अनिल कुमार को धोखाधड़ी का अहसास हुआ। उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामलों में लोग लालच या भरोसे में फंस जाते हैं। किसी भी कंपनी से जुड़ा प्रस्ताव आने पर पहले उसकी वेबसाइट, रजिस्ट्रेशन और पता की जांच करें। पुलिस ने अपील की है कि मोबाइल टावर लगाने, इनाम या नौकरी के नाम पर किसी को भी पैसे न दें, और किसी संदिग्ध कॉल की तुरंत सूचना साइबर हेल्पलाइन 1930 पर दें।

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