कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर जिला प्रशासन और ग्वालियर नगर निगम अवैध कॉलोनियों पर सख्ती शुरू कर दी है। मामा का बुलडोजर उन्हें जमींदोंज करने में जुट गया है। वहीं दूसरी ओर ग्वालियर शहर में 429 अवैध कॉलोनी वैध नहीं हो पाईं है। वैध करने की प्रक्रिया के बीच में शहर से सटे इलाकों में 443 नई अवैध कॉलोनी जरूर बस गईं। वहीं कांग्रेसे ने सिर्फ गरीबों के ऊपर मामा का बुलडोजर चलाने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस प्रवक्ता सिद्धार्थ सिंह राजावत ने कहा कि मामा का बुलडोजर सिर्फ गरीबों के ऊपर चल रहा है। जिन अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाना था वह तो नहीं हो सकी उल्टा भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के इशारों पर सरकारी जमीनों को भेजते हुए 443 अवैध कॉलोनी तैयार की गई है। जिससे सरकार को राजस्व का भी बड़ा नुकसान हुआ है। यह सब शिवराज सरकार (Shivraj government) के इशारे पर चल रहा है यही कारण है कि जिम्मेदार प्रशासन के अधिकारी भी मूकदर्शक बने हुए हैं।
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वहीं इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि जिले में सीएम के निर्देश के बाद 429 अवैध कॉलोनियों को वैध समय पर होना चाहिए था। वहीं इस बीच 443 और नई अवैध कॉलोनियों का तैयार होना प्रशासन की कमजोर पकड़ को भी दर्शाता है। इस मामले में प्रशासन के अधिकारियों से चर्चा की जाएगी, जिससे इन अवैध कॉलोनियों को बढ़ने से रोका जा सके। कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा जिला अध्यक्ष कमल मखीजानी ने कहा कि कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में जितनी सरकारी जमीनों को खुर्द मुक्त किया गया। आज उस पर मामा का बुलडोजर गरज रहा है। यही कारण है कि कांग्रेस को दर्द होने लगा है।
इन इलाकों में अवैध कॉलनियां
प्रशासन के अनुसार सभी अवैध कॉलोनियों की सूची नगर निगम को सौंपी जा चुकी है। अधिकतर अवैध कॉलोनियां खुरैरी, बड़ागांव, सैंथरी, भदरौली, विक्रमपुर और गिरगांव में हैं। वहीं सर्वाधिक अवैध कॉलोनियां पुरानी छावनी और इससे लगे इलाके के अलावा गिरवाई और चिरवाई क्षेत्र में भी है। ऐसे में जल्द 429 कॉलोनियों को वैध करने के साथ ही तैयार हुई नई 443 अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई शुरू होगी।
फैक्ट फाइल
-कॉलोनी काटने वाले लोगों के पास कॉलानाइजर लाइसेंस हो।
-इसके बाद भूमि का डायसर्सव होना चाहिए। –
नजूल की एनओसी,
-टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगर निगम से कॉलोनी विकास की मंजूरी,
-भूमि स्वामित्व के दस्तावेज,
-विकास कार्यों का एस्टीमेट और खसरा आदि होना जरूरी है।
कॉलोनाइजर मुनाफा ज्यादा कमाने 80 फीसदी हिस्से पर प्लॉट काट रहे
जिले के साथ ही प्रदेश भर में अवैध कॉलोनी बनाते समय जमीन के 55 से 60 फीसदी हिस्से में ही प्लॉट काटे जा सकते हैं। शेष 40 से 45 फीसदी हिस्से में सड़क, सीवर, पार्क और विद्युत आदि के विकास कार्य कराने होते हैं। जबकि अवैध कॉलोनी में कॉलोनाइजर मुनाफा ज्यादा कमाने 80 फीसदी हिस्से पर प्लॉट काट देता है। शेष 20 फीसदी जमीन पर रोड बनाकर सीवर लाइन डाल देते हैं। अवैध कॉलोनियां बनाने वाले सस्ते प्लॉट देने का लालच देकर प्लॉट बेचते हैं। लेकिन आपने यदि ऐसी कॉलोनी में प्लॉट लिया तो आपको मकान बनाने के लिए निगम मंजूरी नहीं देगा। जब तक मंजूरी नहीं मिलेगी तब तक बैंक से लोन नहीं मिलेगा। सड़क, सफाई, सीवर और पेयजल सप्लाई जैसी सुविधाओं के लिए भी आपको परेशान होना पड़ेगा, क्योंकि निगम ऐसी कॉलोनियों में विकास कार्य नहीं कराता।ऐसे में आज शहर विकास में अवैध कॉलोनियां हर जिले के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है।
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