सुप्रिया पांडेय, रायपुर। भारतीय जनता पार्टी का आज 42 वां स्थापना दिवस है. इस अवसर पर रायपुर के प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने ध्वजारोहण किया. इस दौरान साथ में प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय मौजूद रहे.

स्थापना दिवस को लेकर प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि केंद्र से लेकर प्रदेश भर के जिला कार्यालयों में वृहद पैमाने पर आयोजन किए जा रहे हैं, इस बार शोभा यात्राएं भी निकाली जा रही है. पार्टी की स्थापना में जिन महापुरुषों ने मुख्य भूमिका निभाई उनका नमन कर रहे हैं.

वहीं केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि आज वृहद पैमाने पर आयोजन किए जा रहे हैं इस आयोजन में शामिल होने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ. आज पीएम मोदी भी पार्टी के नेताओं को संबोधित करेंगे और पार्टी की नीति के बारे में कार्यकर्ताओ व पदाधिकारियों को जानकारी देंगे, स्थापना दिवस पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे.

भाजपा का 42 साल का सफर

1980 में स्थापित भारतीय जनता पार्टी अपने 42 साल के सफर में कई पड़ावों व मंजिलों को तय कर चुकी है. कभी दो सांसदों वाली इस पार्टी के आज लोकसभा में 301 सदस्य हैं, वहीं राज्यसभा में 101 सदस्य हैं. 6 अप्रैल को बीजेपी अपना स्थापना वर्ष मना रही है.

छह अप्रैल 1980 को बीजेपी की स्थापना की गई थी. जनता पार्टी से अलग होकर एक ऐसे दल की नींव रखी गई, जो भारतीय राजनीति में हिंदूत्व की राजनीति करने वाली पार्टी के रूप में विख्यात हुई. बीजेपी के पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी थे.

श्याम प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, डॉ.बलराज मधोक वाली भारतीय जनसंघ का ही नया रूप बीजेपी को माना जाता है. जनसंघ का जनता पार्टी में विलय होने के कुछ ही सालों बाद वैचारिक मतभेद उभरकर सामने आने लगे इसके बाद अलग संगठन बनाने का फैसला किया गया और बीजेपी की नींव पड़ी.

जनता पार्टी में जनसंघ के विलय के बाद भी जनसंघ के सदस्य आरएसएस की सदस्यता नहीं छोड़े. जनता पार्टी के कई नेताओं को दो संगठनों की सदस्यता पर आपत्ति होती रहती थी. यही जनसंघ से जनता पार्टी में गए नेताओं के अलग होने की मुख्य वजह बनी.

जनसंघ के दीपक चुनाव चिन्ह के बाद भारतीय जनता पार्टी को कमल का फूल आवंटित हुआ, लेकिन कमल के फूल पर बीजेपी को चुनाव मैदान में उतरने का मौका 1984 में मिल सका. हालांकि, अपने पहले चुनाव में बीजेपी को कोई खास सफलता नहीं मिली. इसके महज दो सांसद ही जीतकर संसद में पहुंचे थे.

रथयात्रा बना अहम पड़ाव

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा भारतीय राजनीति को बदलने में मुख्य भूमिका तो निभाई ही, पार्टी को भी सत्ता प्राप्ति की राह दिखला दी. 1989 में बीजेपी दो से 89 सीटों तक पहुंच गई.

1996 में भारतीय जनता पार्टी लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. राष्ट्रपति ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र की सत्ता का बागडोर बीजेपी के हाथ में आया। लेकिन 13 दिनों में यह सरकार गिर गई.

दो साल बाद एक बार फिर अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला. 1998 में बनी यह सरकार 13 महीने चली. कई दलों के सहयोग से सरकार का गठन किया गया था, लेकिन सफलता नहीं मिली.

1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा 20 दलों से अधिक के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ी. इस गठबंधन को 294 सीटों पर जीत मिली, जिसमें अकेले बीजेपी के 182 सांसद जीते थे. अटल बिहारी बाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनें, लेकिन इस बार अपना कार्यकाल उन्होंने पूरा किया.

वर्ष 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी बहुमत हासिल नहीं कर पाई और विपक्ष में बैठी. 2014 के आम चुनाव में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई.

2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन को जनता ने प्रचंड बहुमत से जीत दिलाया। बीजेपी 282 सीटों के साथ सरकार बनाई, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनें. इसके बाद 2019 में बीजेपी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर केंद्र की सरकार में आई.