पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. मंजिल तो तेरी यहीं थी, इतनी देर लगा दी आते-आते, क्या मिला तुझे जिंदगी से, अपनों ने ही जला दिया जाते-जाते’. श्मशान घाट के बाहर यह वाक्य लिखा मिल जाता है, लेकिन गरियाबंद नगर में एक ऐसे पिता-पुत्र की ऐसे दानवीर जोड़ी भी हैं, जिन्होंने अपने जीते जी अपना शरीर ही दूसरों के लिए दान कर करने की घोषणा की है. इनमें से एक ओमप्रकाश वर्मा भी हैं, जिन्होंने देहदान का संकल्प लेकर समाज के लिए एक मिसाल पेश की है.

ओमप्रकाश वर्मा गरियाबंद जिले के पिपरछेड़ी स्कूल में शिक्षक के रूप में पदस्थ हैं. शिक्षा जगत व समाज सेवा से जुड़े 43 वर्षीय वर्मा मूलतः ग्राम रोहिना (राजिम) गरियाबंद के निवासी हैं और लगातार शिक्षा जगत और समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं. मरणोपरांत शरीर का हमारे लिए कोई प्रयोग नहीं होता है. हमारे शरीर के अंग किसी के काम आ जाएं, यही हमारे लिए पुण्य है. इसी सोच के साथ 4 अगस्त को शरीर रचना विभाग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) रायपुर, छत्तीसगढ़ संस्था के पक्ष में शरीर दान करने की घोषणा की है.

इसके पूर्व ओमप्रकाश वर्मा 14 जून को अपनी उम्र से अधिक 49 बार रक्तदान कर गरियाबंद जिले के सर्वाधिक रक्त दानदाता के रूप में राज्यपाल छत्तीसगढ़ शासन अनसुइया उइके के हाथों राज्यपाल सम्मान प्राप्त किया है. साथ ही आजादी के 75वें वर्ष में अमृत महोत्सव को और यादगार बनाने के लिए उनके 75 वर्षीय पिता डॉक्टर जीवन लाल वर्मा ने भी 4 अगस्त को एम्स रायपुर में देहदान की घोषणा कर मिसाल कायम किया है. डॉक्टर वर्मा समाज सेवा के साथ आध्यात्मिक व कृषि के क्षेत्र में भी कई उन्नत कार्य कर चुके हैं, जिन्हें राज्य स्तरीय सम्मान प्राप्त भी हुआ है.

एचओडी, डिपार्टमेंट ऑफ एनाटॉमी, ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, रायपुर ने बताया, यह परिवार विगत कई वर्षों से रक्तदान व देहदान जैसे प्रेरणा स्रोत बन साहसिक कार्य के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. इंसान को जीने के लिए सब कुछ न्यौछावर करना पड़ता है. मरणोपरांत जला या दफना दिया जाता है. अंगदान और देहदान से किसी का भला हो जाए इससे बढ़कर और क्या है. योग्य डॉक्टर तैयार करने में देहदान का महत्व है. यह मरणोपरांत भी समाजसेवा करने के समान है. छात्रों के लिए मृत शरीर एक शिक्षक के समान होता है. देहदान से व्यक्ति मरणोपरांत भी किसी को जीवनदान दे जाता है. यही नहीं, वह ऐसे चिकित्सक को गढने में भागीदार होता है, जो वर्षों तक चिकित्सा सेवा के माध्यम से देश-विदेश में लाखों लोगों की जान बचाता है.

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