नई दिल्ली . दिल्ली-एनसीआर में होने वाले साइबर अपराध के ज्यादातर मामलों में बाहरी जालसाजों का हाथ होने का खुलासा तो पहले ही हो चुका है . अब ऐसी साइबर वारदातों को अंजाम देने वाले करीब 45 हजार संदिग्ध नंबरों को जांच एजेंसियों ने चिन्हित कर इन्हें ब्लैकलिस्ट करा दिया .
ये संदिग्ध नंबर पिछले दो वर्षों के भीतर चिन्हित किए गए . दिल्ली-एनसीआर में होने वाले साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए इन नंबरों का इस्तेमाल किया गया था . इन नंबरों को ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई ठीक उसी तरह की जा रही है, जिस तरह से चोरी हुए इन फोन के अंतरराष्ट्रीय मोबाइल आईएमईआई नंबरों को केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई परियोजना के तहत केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (सीईआईआर) द्वारा ब्लॉक कराया जाता है .
मेवात में एक्टिव थे ज्यादा नंबर सबसे ज्यादा नंबर राजस्थान-यूपी-हरियाणा के ट्राइजंक्शन वाले इलाके मेवात में एक्टिव थे . ये वे नंबर हैं, जिनके जरिये साइबर जालसाजों ने दिल्ली-एनसीआर के लोगों की जेब पर डाका डाला है . एनसीआर में दर्ज साइबर अपराध के मामलों को लेकर किए गए एक अध्ययन में भी खुलासा हुआ है कि एनसीआर में हुई ज्यादातर घटनाओं में मेवात के अलावा जामताड़ा, नागपुर, नॉर्थ राजस्थान, साउथ बिहार और नार्थ ईस्ट के कुछ इलाकों के जालसाज ज्यादा सक्रिय हैं . खास बात यह है कि दिल्ली-एनसीआर में हुए साइबर अपराध के मामलों का विश्लेषण करने पर सेक्सटॉरशन और शॉपिंग फ्रॉड के मामले में राजस्थान-यूपी-हरियाणा सीमा पर स्थित मेवाती साइबर जालसाजों का नाम सामने सबसे ऊपर है . ई सिम फ्रॉड और केवाईसी फ्रॉड के मामले में बिहार-झारखंड-पश्चिम बंगाल साइबर ठगों के एक्टिव नेटवर्क की जानकारी मिली .
कॉलिंग कर जाल में फंसाया नॉर्थ राजस्थान और साउथ बिहार के नंबर से फर्जी बेवसाइट बनाकर लोगों को नौकरी के नाम पर ठगा गया . दिल्ली-एनसीआर में फर्जी कॉल सेंटर के जरिये कॉलिंग कर जाल में फंसाकर ठगी करने का खुलासा हुआ है .
कैसे रहें सुरक्षित
● किसी ईमेल, लिंक, वेबसाइट या फिर कॉल पर थोड़ा भी संदेह हो तो उससे बिल्कुल दूर रहें .
● किसी भी स्कीम के तहत आने वाले यूपीआई लिंक को क्लिक न करें, नकली पॉपअप पर बरतें सावधानी .
● अगर, पेमेंट करते भी हैं तो इसके लिए क्यूआर कोड को स्कैन करने से पहले सुनिश्चित करें कि वह सही है या नहीं .
● पेमेंट करते समय आईडी कार्ड और ट्रांजेक्शन के स्क्रीनशॉट की जांच कर लें .