वैभव बेमेतरिहा, रायपुर। छत्तीसगढ़ के चुनाव में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के बीच ही सीधा संघर्ष नहीं, बल्कि निर्दलीय भी कई सीटों पर कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं. कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी निर्दलियों के भँवर में फंस गए हैं. 72 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में कुल 1079 प्रत्याशियों में 493 उम्मीदवार निर्दलीय हैं. जानकार बताते हैं कि इतनी संख्या में कभी भी निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव नहीं लड़ा था. लेकिन 2018 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय उम्मीदवारों की अधिक संख्या के लिए भी जाना जाएगा.
लेकिन हैरान करने वाली बात ये हैं कि बड़ी संख्या में निर्दलीय चुनाव लड़ते कैसे हैं? वो भी उस स्थिति में जब चुनाव इतना खर्चीला हो चला है. हालांकि चुनाव लड़ने का अधिकार सभी को है लिहाजा वो चुनाव में खर्च करने को कुछ हो न तो भी लड़ सकते हैं. और यही भारत की प्रजातांत्रिक व्यवस्था की सबसे अच्छी बात है कि यहां हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है. फिर भी जब बड़ी संख्या में निर्दलीय चुनाव लड़े तो कई तरह के सवाल उठते हैं. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि कई बार राष्ट्रीय दलों की ओर से निर्दलीय प्रत्याशी खड़े कराए जाते हैं. जिससे प्रतिद्ंवदी का समीकरण बिगाड़ा जा सके. मतलब ये हैं कि 72 सीटों में निर्दलीय कहीं खुद से लड़ रहे हैं तो कहीं वे लड़ाए जा रहे हैं.
फिर भी इन तमाम परिस्थितियों के बीच निर्दलियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. क्योंकि कई सीटों पर निर्दलियों की स्थिति मजबूत बताई जाती है. वैसे 2013 के चुनाव के आंकड़ों को देखें तो महासमुंद सीट से निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी को हराते हुए जीतकर आए थे. 2018 के इस चुनाव कुछ सीटें ऐसी जहां से निर्दलीय उलटफेर भी कर सकते हैं.
इन सीटों के निर्दलीय उम्मीदवारों पर सबकी निगाहें-
महासमुंद सीट से विधायक विमल चोपड़ा
बसना से भाजपा का बागी संपत अग्रवाल
रायगढ़ से भाजपा का बागी विजय अग्रवाल
जशपुर से भाजपा का बागी प्रदीप सिंह
धमतरी से कांग्रेस का बागी आनंद पवार
कुरूद से कांग्रेस का बागी नीलम चंद्राकर