भगवान शिव को ‘नारी वंद्य’ देवता माना गया है, जिन्हें नारी-भक्ति सहज ही आकर्षित करती है. सावन जैसे महीनों में महिलाएं व्रत रखकर भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में कुछ ऐसे शिव मंदिर भी हैं जहां महिलाओं को शिवलिंग का जलाभिषेक करने की अनुमति नहीं है? यह जानकर हैरानी जरूर होगी, लेकिन इन परंपराओं के पीछे छिपे हैं धार्मिक, पौराणिक और आध्यात्मिक कारण.

कालभैरव मंदिर, उज्जैन (मध्यप्रदेश)

यहां भैरवनाथ को मदिरा चढ़ाई जाती है, और शिवलिंग की पूजा एक विशेष तांत्रिक पद्धति से होती है. मान्यता है कि यहां शिव की उग्र और रौद्र स्वरूप में पूजा होती है, जो स्त्री-ऊर्जा के अधिक समीप आने पर संतुलन बिगाड़ सकती है. यही कारण है कि यहां महिलाएं सिर्फ दर्शन कर सकती हैं, जलाभिषेक नहीं.

कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी (असम)

भले ही यह मंदिर शक्ति की अधिष्ठात्री देवी को समर्पित हो, लेकिन यहां शिव की एक पौराणिक ऊर्जा उपस्थिति है. यहां तांत्रिक परंपरा के तहत माना जाता है कि स्त्री और पुरुष ऊर्जा का संतुलन साधना में अत्यंत आवश्यक है, इसलिए यहां महिलाएं अभिषेक नहीं करतीं.

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, श्रीशैलम (आंध्रप्रदेश)

यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहां शिव और शक्ति दोनों की संयुक्त पूजा होती है. लेकिन एक विशेष आंतरिक गर्भगृह में, जहां शिवलिंग स्थित है, वहाँ स्त्रियों को प्रवेश नहीं है. कारण – यह स्थान साधना का केंद्र माना गया है और कहा जाता है कि वहां सिर्फ पुरुष साधक ही ऊर्जाओं को संभाल सकते हैं.

भूतनाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश

मंडी में स्थित यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और यहां शिव को भूतों के नाथ के रूप में पूजा जाता है. यहां की मान्यता है कि रात्रिकालीन पूजा और रौद्र साधनाएं स्त्रियों के लिए उपयुक्त नहीं होतीं, इसलिए उन्हें अभिषेक से दूर रखा गया है.

केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड

हालांकि यहां महिलाएं दर्शन कर सकती हैं, लेकिन मुख्य शिवलिंग का पारंपरिक जलाभिषेक केवल मंदिर के पुजारियों द्वारा ही किया जाता है, और यह परंपरा पुरुषों तक सीमित है. पौराणिक मान्यता है कि केदारनाथ में शिव अत्यंत कठोर तपस्या की मुद्रा में हैं, और उस ऊर्जावान वातावरण में स्त्रियों को अभिषेक की अनुमति नहीं दी जाती.

लेकिन ऐसा क्यों ?

ये परंपराएं स्त्री विरोधी नहीं, बल्कि ऊर्जा संतुलन और तांत्रिक मर्यादाओं पर आधारित हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि कुछ स्थानों पर शिव की ऊर्जा इतनी तीव्र होती है कि यदि स्त्रियाँ वहां सीधे अभिषेक करें तो यह शारीरिक या मानसिक असंतुलन का कारण बन सकता है.