उत्तराखंड राज्य अपने मंदिरों के लिए जाना जाता है. खासकर महाभारत काल से उत्तराखंड का गहरा संबंध है. राज्य की राजधानी देहरादून स्थित लाखामंडल मंदिर को पांडवों ने ही बनाया था. महाभारत के अनुसार इसी जगह पर पांडव कौरवों के लाक्षागृह षड़यंत्र से बच निकलने में कामयाब हुए थे. लाखामंडल के पर्वत में कई रहस्यमयी गुफाएं हैं.
लाखा का मतलब है लाख और मंडल का अर्थ लिंग. महाभारत की एक अन्य कहानी के अनुसार जब पांडव महाभारत के युद्ध के बाद हिमालय आए तो उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. उन्होंने यहां पर एक लाख शिवलिंगों की स्थापना की थी. एक लाख शिवलिंगो के कारण इस जगह का नाम लाखामंडल रखा गया था.
लाखामंडल मंदिर केदारनाथ की शैली में बनाया हुआ है. इसके गर्भगृह में भगवान शिव, पार्वती, काल भैरव, कार्तिकेय, सरस्वती, गणेश, दुर्गा, विष्णु और सूर्य-हनुमान की मूर्तियां है. खूबसूरत और अद्भुत गांव समुद्रतल से 1372 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. देहरादून से इसकी दूरी 128 किमी, चकराता से 60 किमी और पहाड़ों की रानी मसूरी से 75 किमी की दूरी पर है. शिव को समर्पित लाक्षेश्वर मंदिर 12-13वीं सदी में निर्मित नागर शैली का मंदिर है. इस मदिंर के अंदर आपको पार्वती जी के पैरों के निशान भी देखने को मिलेंगे.
ऐसी मान्यता है कि मंदिर में अगर किसी शव को इन द्वारपालों के सामने रखकर मंदिर के पुजारी उस पर पवित्र जल छिड़कें तो वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए पुन: जीवित हो उठता है. गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है. लेकिन इस बात का रहस्य क्या है यह आज तक कोई नहीं जान पाया.
Threads App पर lalluram.com को फॉलो करने के लिए https://www.threads.net/@lalluramnews इस लिंक पर क्लिक करें, ताकि आपको देश दुनिया की पल-पल की खबरें मिलती रहेंगी.
छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
English में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें