चेन्नई। तमिलनाडु वन विभाग के एक अध्ययन से पता चला है कि पिछले पांच वर्षों में राज्य में 525 जंगली हाथियों की मौत हुई है। अध्ययन के अनुसार, 2017 में 125 हाथियों की मौत हो गई, जबकि 2018 में 84, 2019 में 108, 2020 में 110 और 2021 में 98 हाथियों की मौत हो गई।

खतरनाक मौतों के बावजूद, केंद्र सरकार ने पिछले दो वर्षों 2020-21 और 2021-22 में ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ पहल के तहत कोई फंड मंजूर नहीं किया है।

तमिलनाडु के मुख्य वन्यजीव वार्डन, शेखर कुमार नीरज ने आईएएनएस को बताया, “वित्त पोषण की कमी ने विभाग की दीर्घकालिक संरक्षण गतिविधियों में गंभीर रूप से अवरोध पैदा कर दिया है। हमने तमिलनाडु में प्रोजेक्ट हाथी के तहत 20 करोड़ रुपये का प्रस्ताव पहले ही जमा कर दिया है। वित्त वर्ष में केवल 50 दिन शेष हैं और मैं समझता हूं कि सभी केंद्रीय योजनाओं के लिए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) की शुरूआत के कारण देरी हुई थी।”

उन्होंने आगे कहा कि राज्य को फिर से पीएफएमएस में प्रस्ताव अपलोड करने के लिए कहा गया था और विभाग पहले ही ऐसा कर चुका है।

नीरज ने कहा कि राज्य को प्रोजेक्ट टाइगर के तहत पहले ही फंड मिल चुका है, लेकिन प्रोजेक्ट एलीफेंट फंड अभी तक जारी नहीं किया गया है।

तमिलनाडु को केरल और कर्नाटक जैसे अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों की तुलना में कम धन प्राप्त हुआ है। जबकि केरल को 2017-2021 के बीच 23 करोड़ रुपये और इसी अवधि के दौरान कर्नाटक को 13 करोड़ रुपये मिले, तमिलनाडु को केवल 9.75 करोड़ रुपये दिए गए।

2012 की वन्यजीव जनगणना के अनुसार तमिलनाडु में 4,015 जंबो थे लेकिन 2017 की जनगणना के अनुसार, राज्य में केवल 2,761 जंगली हाथी हैं जो 38 प्रतिशत की तेज गिरावट का संकेत देते हैं।

प्रोजेक्ट एलीफेंट के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, “फंड को मंजूरी देते समय अलग-अलग मापदंडों को ध्यान में रखा जाता है। 2017 की जनगणना के अनुसार तमिलनाडु केरल और कर्नाटक से हाथियों के डेंसिटी में पीछे है। पिछले प्रदर्शन और धन का उचित उपयोग दो अन्य हैं। फंड आवंटित करते समय जो पैरामीटर ध्यान में आते हैं।”