रायपुर. डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय  के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में हार्ट अटैक के कारण दिल में हुए छेद जिसको मेडिकल भाषा में “वेन्ट्रीकुलर सेप्टल रफ्चर (वी.एस.आर. VSR)’ कहा जाता है, ऐसे मरीज की सफल सर्जरी कर एवं मरीज की जान बचाकर चिकित्सा जगत में नया इतिहास रच दिया गया. यह ऑपरेशन हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू एवं टीम द्वारा किया गया. ऑपरेशन के 15 दिनों बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया.

डॉ. साहू बताते हैं, कि यह मरीज आज से कुछ माह पहले उनके ओपीडी में छाती में दर्द की शिकायत से पहुंचे. ईसीजी एवं अन्य जांच से पता चला कि उनको हार्ट अटैक आया है एवं उनको एंजियोग्राफी के लिए तत्काल कार्डियोलॉजी विभाग में भेज दिया गया. वहां पर एंजियोग्राफी करने से पता चला कि उनके हृदय की मुख्य कोरोनरी आर्टरी (धमनी) में ब्लाक (रूकावट) है जिसको कार्डियोलाजिस्ट द्वारा एन्जियोप्लास्टी (stent स्टेंट लगाने) के बाद एक से दो दिन तक मरीज ठीक रहा परन्तु तीसरे ही दिन उसकी सांस फूलने लगी, पेशाब बनना बंद हो गया, बी.पी. बहुत ही कम (70/40mmHg) हो गया एवं शरीर में पानी भरना प्रांरभ हो गया एवं उसके बाद कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा पुनः इकोकार्डियोग्राफी करने पर पता चला कि उनकी दो वेन्ट्रीकल, लेफ्ट और राइट वेन्ट्रीकल के बीच की दीवाल में हार्ट अटैक के कारण बड़ा सा छेद हो गया था|. इसी छेद को ही वेन्ट्रीकुलर सेप्टल रफ्चर कहते है. यह छेद इसलिए होता है क्योंकि हार्ट अटैक में हृदय की धमनी में थक्का बनने के कारण रक्त प्रवाह में रूकावट आ जाती है, जिससे हृदय की मांसपेशियों में रक्त नहीं पहुँच पाने के कारण गलना प्रांरभ हो जाता है एवं गली हुई मांसपेशियां हृदय के ब्लड प्रेशर को झेल नहीं पातीं और उस स्थान पर छेद हो जाता है. यदि यही छेद हृदय के बाहरी दीवाल में होता है, तो मरीज की मृत्यु कुछ ही मिनटों में हो जाती है.

इकोकार्डियोग्राफी में पता चला कि यह छेद (V. S. R.) इतना बड़ा था, कि इसमें कोई भी छेद बंद करने वाली डिवाइस नहीं लग सकती थी इसलिए इस मरीज को हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में डॉ. कृष्णकांत साहू के पास रिफर कर दिया गया. डॉ. साहू बताते हैं कि इस मरीज की स्थिति बहुत ही ज्यादा खराब थी. ब्लड प्रेशर 70/40 mmHg एवं आक्सीजन सैचुरेशन (SPO2) 80% हो रहा था. पेशाब का आना बिल्कुल बंद हो गया था. फेफड़ों में सूजन था (पल्मोनरी एडीमा) था एवं हृदय केवल 20 प्रतिशत कार्य कर रहा थ. ऐसे मरीजों की बचने की संभावना बिल्कुल ना के बराबर होती है. इस स्थिति को एक्युट कार्डियक फेल्योर विद पल्मोनरी एडीमा कहा जाता है.

इस प्रकार हुआ ऑपरेशन

मरीज एवं उनके रिश्तेदारों को समझा दिया गया था, कि इस प्रकार की बीमारी (वेन्ट्रीकुलर सेप्टल रफ्चर) में बचने की उम्मीद ना के बराबर होती है क्योंकि मरीज का हृदय 20 प्रतिशत ही काम कर रहा था. इस ऑपरेशन में मरीज के हृदय की धड़कन को हार्ट लंग मशीन की सहायता से रोककर बाएं वेन्ट्रीकल को काटकर छेद वाले हिस्से को विशेष प्रकार के कपड़े (जिसको डबल वेल्योर डेक्रान कहा जाता है) से रिपेयर किया गया एवं लेफ्ट वेन्ट्रीकल के मृत दीवाल को काटकर अलग किया गया एवं विशेष तकनीक से लेफ्ट वेन्ट्रीकल की साइज को छोटा किया गया, जिसको “वाल्युम रिडक्सन लेफ्ट वेन्ट्रीकुलोप्लास्टी” कहा जाता है. आपरेशन के पश्चात् मरीज के हृदय को सर्पोट देने के लिए इंट्रा एओर्टिक बलून पंप (IABP machine ) लगाया गया.

  इस प्रकार के ऑपरेशन की सफलता सर्जन की कार्यकुशलता, टीमवर्क एवं ऑपरेशन के बाद मरीज की पोस्ट ऑपरेटिव केयर पर निर्भर करती है.

  यह मरीज ऑपरेशन के बाद 03 दिनों तक वेन्टीलेटर सपोर्ट में रहा एवं ऑपरेशन के 15 दिनों बाद मरीज को अस्पताल से छुटी दे दी गयी. डिस्चार्ज के समय मरीज एवं उनके रिश्तेदारों की आंखों में खुशी के आंसू थे, क्योंकि आॅपरेशन के पहले ही उनको बता दिया गया था कि ऐसी बीमारी वाले मरीज ऑपरेशन के बाद भी नहीं बच पाते. उनके रिश्तेदारों का कहना था कि हमें आपके हार्ट सर्जरी विभाग के डॉक्टरों पर बहुत विश्वास था और है क्योंकि मरीज सिंचाई विभाग में शासकीय सेवा में कार्यरत् है. तो हम कोई भी बडे़ से बड़े अस्पताल जा सकते थे लेकिन हमको विश्वास यहां के डॉक्टरों पर ज्यादा था. मीडिया के माध्यम से हम लोगों ने एसीआई की ऐसी कई समाचार पढ़ी, देखी और सुनी है जिसमें गंभीर से गंभीर केस में डॉक्टरों ने लोगों की जान बचाई है.

सुने ऑपरेशन के बाद क्या कहा मरीज ने

https://www.facebook.com/pratik.chauhan.5/videos/387479183785753

ऑपरेशन में ये रहे शामिल

  • डॉ. कृष्णकांत साहू (हार्ट सर्जन एवं विभागाध्यक्ष) के साथ, डॉ. निशांत सिंह चंदेल (हार्ट सर्जन), डॉ. अजीत सकलेजा(पी.जी), डॉ. संजय त्रिपाठी (जेआर)
  • कार्डियक एनेस्थेटिस्ट- डॉ. तुषार मालेवार
  • परफ्युजनिस्ट – प्रीतम, डिगेश्वर   
  • टेक्नीशियन – भूपेन्द्र,हरीश,
  • नर्सिंग स्टॉफ – राजेन्द्र, नरेन्द्र, दुष्यंत, चोवा, मुनेश, सरिता, किरण, प्रियंका, कुसुम, शीबा, तेजेन्द्र.