अमृतसर. पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे जल विवाद के बीच पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया। इस दौरान भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के पुनर्गठन और हरियाणा को पानी न देने के संबंध में 6 प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए।
विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आप सरकार ने पंजाब के हर खेत तक नहरी पानी पहुंचाने का प्रयास किया है। नहरों और जलमार्गों का एक नेटवर्क बड़े स्तर पर बनाया गया है। साल 2021 तक पंजाब के केवल 22% खेतों को नहरी पानी मिलता था, लेकिन अब 60% खेतों को कवर किया जा रहा है। यही कारण है कि पंजाब के पानी की हर बूंद कीमती हो गई है और अब पंजाब के पास किसी अन्य राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है।

ये 6 प्रस्ताव किए गए पारित
- पंजाब अपने हिस्से का पानी हरियाणा को एक बूंद भी नहीं देगा। पंजाब मानवीय आधार पर 4,000 क्यूसेक पानी उपलब्ध करा रहा है और यह जारी रहेगा।
- भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) केंद्र सरकार की कठपुतली बन गया है। उनकी बुलाई जाने वाली बैठकों में न तो पंजाब सरकार की बात सुनी जा रही है और न ही पंजाब के हितों का ध्यान रखा जा रहा है। बोर्ड का पुनर्गठन किया जाना चाहिए।
- सतलुज, ब्यास और रावी नदियां केवल पंजाब से होकर बहती हैं। 1981 के जल समझौते में जितना पानी था, अब उतना नहीं है। ऐसी स्थिति में, इन नदियों के पानी के बंटवारे के लिए एक नया समझौता किया जाना चाहिए।
- BBMB की बैठक बुलाने के नियम हैं, लेकिन बोर्ड कानून का पालन नहीं कर रहा। रात में गैर-कानूनी तरीके से बैठकें बुलाई जा रही हैं। सदन निर्देश देता है कि BBMB नियमों का पालन करे।
- भाखड़ा बांध से किस राज्य को कितना पानी देना है, यह 1981 के जल समझौते में लिखा है। BBMB को इसे बदलने का कोई अधिकार नहीं है। यदि BBMB कोई फैसला लेता है, तो यह असंवैधानिक होगा। BBMB को ऐसे फैसले लेने से बचना चाहिए।
- केंद्र सरकार को डैम सेफ्टी एक्ट-2021 के प्रस्ताव को वापस लेना चाहिए। पंजाब सरकार इस एक्ट को स्वीकार नहीं करती।
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