नई दिल्ली। सरकार के खिलाफ आवाज उठाना लोगों को भारी पड़ रहा है। देश में राजद्रोह कानून का इस्तेमाल किये जाने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में इन कानूनों के तहत पिछले दो साल में सर्वाधिक केस दर्ज किये गए हैं।

लोगों पर गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम UAPA और राजद्रोह के सर्वाधिक मामले साल 2016 से 2019 के बीच दर्ज किये गए हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक इन कानूनों का इस्तेमाल कर पिछले दो साल में 6300 लोगों पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है। वहीं इन कानूनों के तहत सिर्फ दो फीसदी लोगों पर ही अदालत में आरोप तय किये जा सके हैं।

हाल ही में दिल्ली की एक अदालत ने राजद्रोह कानून को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि उपद्रवियों पर लगाम लगाने के नाम पर असंतुष्टों को चुप करने के लिए राजद्रोह के कानून का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। किसान आंदोलन के दौरान सोशल मीडिया पर फेक वीडियो पोस्ट कर अफवाह फैलाने और राजद्रोह करने के 2 आरोपियों को जमानत देते हुए अडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राना ने यह टिप्पणी की।

वहीं राजद्रोह कानून के इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि हिंसा, अराजकता न फैले तो सरकार की आलोचना राजद्रोह नहीं है।