सत्यपाल राजपूत, रायपुर. किसी भी चीज को पूरी शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात आपको उससे मिलाने में लग जाती है. ऐसे ही कई बच्चों के सपने को साकार कर रही है जिला प्रशासन. इस वर्ष जिले के 65 बच्चों ने नीट एवं जेईई एग्जाम क्वालीफाई किया है. नीट एवम जेईई जैसे परीक्षाओं को क्वालीफाई करना आसान नही. और जब बात नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा की हो तो बात और महत्वपूर्ण हो जाती है. अब तक 239 बच्चे चिकित्सा के क्षेत्र में एवं 660 बच्चे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अध्ययन कर रहे है. बच्चे लगन और मेहनत के साथ शिक्षा ग्रहण करके विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं देते हुए अपने क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं.

बच्चों को जिला प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे संस्थाओं में निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है और 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं के साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की विषय विशेषज्ञों द्वारा निःशुल्क तैयारी करवाई जाती है. इसे देखते हुए इस वर्ष 65 बच्चों का क्वालीफाई होना उत्साहजनक है. प्रशासन के बेहतर सुविधाओ की वजह से आज कई बच्चे परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. संस्था में समय से बच्चो का सिलेबस पूरा करवाया गया. विभिन्न प्रकार के मासिक साप्ताहिक नीट, जेईई, से संबंधित टेस्ट आयोजित की गई. बार-बार रिवीजन करवाया गया, जिसका परिणाम है कि आज जिले से इतने अधिक बच्चों ने एग्जाम क्वालीफाई किया है.

कलेक्टर विनीत नंदनवार द्वारा किए गए नवाचारों ने भी बच्चों की सफलता में अहम भूमिका निभाई है. वे समय-समय पर मार्गदर्शन कार्यक्रम कर बच्चों को प्रारंभिक स्तर की तैयारी से लेकर परीक्षा में किस तरह से धैर्यता रखते प्रश्नों को हल करना है इन सभी पहलुओं पर बारीकी से चर्चा कर बच्चो का मार्गदर्शन करते रहे हैं. कलेक्टर ने स्वयं छू-लो आसमान बालूद, कारली में पहुंचकर बच्चों से स्वयं रूबरू होकर परीक्षा संबंधी टिप्स भी दिए जो कहीं न कहीं बच्चों के परीक्षा में बहुत ही कारगार सिद्ध हुआ.

दंतेवाड़ा जिले में जिला प्रशासन द्वारा बालूद में बालकों एवं कारली में बालिकाओं के लिए छू लो आसमान संचालित किया जा रहा है. यहां जिले के अंदरूनी क्षेत्रों के बच्चों को कक्षा 9वीं से प्रवेश कराकर निःशुल्क आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाती है तथा इन बच्चों को 9वीं से 12वीं पाठ्यक्रम के आलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की अलग से कोचिंग की सुविधा भी प्रदान की जाती है. यहां दंतेवाड़ा जिले के साथ-साथ बस्तर संभाग के अन्य जिलों से भी बच्चे आकर शिक्षा ग्रहण कर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं.