राजधानी की सड़कों पर इस सप्ताह 670 नई बसों को चलाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. स्वदेशी अनुपालन प्रमाण पत्र की आवश्यकता में अस्थायी छूट देते हुए, सरकार ने इन बसों को डिपो से बाहर निकालने की अनुमति प्रदान की है. इस निर्णय के तहत, दिल्ली में पहली बार नौ मीटर लंबी मिनी बसें, जिन्हें मोहल्ला बस कहा जाता है, सड़कों पर चलेंगी. ये बसें पिछले आठ महीनों से डिपो में खड़ी थीं. सरकार के इस कदम से मार्च तक सड़कों से हटी 790 डीटीसी बसों की कमी को भी पूरा किया जाएगा.
26/11 का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा आज आएगा भारत? अजीत डोभाल कर रहे निगरानी, दिल्ली-मुंबई जेलें तैयार
दिल्ली के परिवहन मंत्री डॉ. पंकज सिंह ने मिनी बसों के संचालन की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि 390 इलेक्ट्रिक बसें सामान्य श्रेणी की होंगी, जबकि 280 मिनी बसें शामिल की जाएंगी. मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि कंपनियों को स्वदेशी अनुपालन प्रमाण पत्र लाना था, लेकिन इसे समय पर प्रस्तुत न कर पाने के कारण परिचालन में देरी हुई. अब कुछ बसों के प्रमाण पत्र प्राप्त हो चुके हैं, और शेष के लिए कंपनियों ने एक शपथ पत्र देकर निश्चित समय में प्रमाण पत्र लाने का आश्वासन दिया है, जिसके लिए उन्हें छह महीने का समय दिया गया है.
परिवहन विभाग ने दिल्ली में बसों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ई-बस योजना के अंतर्गत 12 मीटर लंबी 1900 बसों के लिए निविदा जारी की है. इसके अतिरिक्त, लास्ट माइल कनेक्टिविटी को ध्यान में रखते हुए 9 मीटर लंबी 1040 बसों की भी निविदा प्रस्तुत की गई है. बड़ी बसों का अधिकांश हिस्सा अब सड़कों पर उपलब्ध है, जबकि लगभग चार सौ बसें अभी भी शेष हैं. इनमें से 390 बसें जल्द ही सड़कों पर चलने के लिए तैयार की जाएंगी, जबकि 9 मीटर वाली 1040 बसों में से केवल 280 बसें पिछले वर्ष से आई हैं, लेकिन स्वदेशी अनुपालन प्रमाण पत्र की कमी के कारण इन्हें अभी तक सड़कों पर नहीं उतारा गया है.
790 बसें सड़कों से उम्र पूरी होने के कारण हटाई गई
जनवरी से मार्च के बीच 790 बसें अपनी उम्र पूरी होने के कारण सड़कों से हटा दी गई हैं. अप्रैल और मई में 476 और बसें हटाई जाएंगी, जिससे डीटीसी में बसों की संख्या घटकर लगभग 3200 रह जाएगी. इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने सड़कों पर बसों की संख्या बढ़ाने के लिए स्वदेशी अनुपालन प्रमाण पत्र लाने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान किया है. इस दौरान, बसों को सड़कों पर उतारने का निर्णय लिया गया है, जिससे अप्रैल में दिल्ली की सड़कों पर 670 नई बसें जुड़ जाएंगी.
स्वदेशी अनुपालन प्रमाण पत्र
बसों की खरीद के लिए जारी निविदा में स्वदेशीकरण की एक महत्वपूर्ण शर्त शामिल की गई थी. इसके अनुसार, बस निर्माता कंपनियों को यह सुनिश्चित करना आवश्यक था कि वे बस निर्माण में स्वदेशी सामग्री (मेक इन इंडिया) का उपयोग करें. एआरएआई और आईसीएटी जैसी नोडल एजेंसियों को सीएमवीआर के नियम 12 के तहत यह सुनिश्चित करना था कि वाहन स्तर पर 50 प्रतिशत से अधिक घरेलू मूल्य संवर्धन हो और स्वदेशीकरण के अनुपालन का प्रमाणपत्र प्रदान करना था. हालांकि, कंपनियों द्वारा यह प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किया जा सका, जिसके परिणामस्वरूप बसें डिपो में आठ महीने से अधिक समय तक खड़ी रहीं.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक