भारत में 6G: भारत 2030 तक 6G सेवा लॉन्च करने की तैयारी में है. इंडिया मोबाइल कांग्रेस में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत में 6G सेवा के लिए ऐसे नियामक और मानक बनाए जा रहे हैं ताकि यह सस्ती और सभी के लिए सुलभ हो. उन्होंने इस सेवा को सभी नागरिकों तक पहुंचाने और साइबर सुरक्षा को सुनिश्चित करने पर जोर दिया.

6G की तैयारी और अनुसंधान

संचार मंत्रालय के तहत काम करने वाला सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) पहले ही 6G तकनीक पर शोध शुरू कर चुका है.

6G इनोवेशन लैब में रिकन्फिगरेबल इंटेलिजेंट सरफेस (RIS) जैसी तकनीकों पर काम हो रहा है, जिससे पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में भी बेहतर कनेक्टिविटी संभव होगी.

भारत की 6G सेवा का उद्देश्य अत्यधिक तेज़ इंटरनेट स्पीड और उच्च गुणवत्ता वाली कनेक्टिविटी प्रदान करना है.

साइबर सुरक्षा और सुलभ सेवा पर जोर

मंत्री सिंधिया ने कहा कि 6G की सफलता तभी है जब इसे सभी लोगों के लिए किफायती बनाया जाए. इसके साथ ही, उपयोगकर्ताओं की साइबर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए जाएंगे.

भारत की 5G प्रगति और 6G नेतृत्व का लक्ष्य

भारत में 5G सेवा 2022 में लॉन्च की गई थी और अब यह 98% शहरों में उपलब्ध है. 13 करोड़ से अधिक यूजर्स 5G का उपयोग कर रहे हैं.

जबकि कई देशों ने 2019-20 में 5G सेवा शुरू की थी, भारत अब 6G तकनीक में वैश्विक नेतृत्व स्थापित करना चाहता है.
6G के विकास के लिए भारत ने यूरोप के 6G स्मार्ट नेटवर्क और सर्विस इंडस्ट्री एसोसिएशन के साथ समझौता किया है.

भारत का लक्ष्य 2030 तक 6G सेवा को लॉन्च कर दुनिया में टेलीकॉम सेक्टर में अग्रणी भूमिका निभाना है. भारत अपनी घरेलू तकनीक विकसित कर उसे वैश्विक बाजार में बेचने की योजना बना रहा है, जिससे देश को एक तकनीकी हब के रूप में स्थापित किया जा सके. अगर 6G सेवाएं सस्ती और सुलभ रहीं, तो यह न केवल देश में इंटरनेट क्रांति को आगे बढ़ाएगी बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में भी इसका प्रभाव दिखेगा.