पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के पाथरप्रतिमा में हुए एक विस्फोट में सात लोगों की जान चली गई है. जानकारी के अनुसार, यह धमाका एक कच्चे बम निर्माण इकाई में हुआ, जिसमें कई लोग घायल भी हुए हैं. यह घटना सोमवार रात को हुई. मृतकों में एक ही परिवार के सदस्य शामिल हैं, जिनमें तीन बच्चे भी हैं. घटना की सूचना मिलने के बाद राज्य पुलिस ढोलाहाट के पाथरप्रतिमा गांव में पहुंची.

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सिलेंडर में धमाका होने की जांच जारी 

रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार शाम को ढोलाहाट थाना क्षेत्र में बनिक परिवार के निवास पर एक विस्फोट हुआ. प्रारंभिक जांच से पता चला है कि यह आग सिलेंडर के विस्फोट के कारण लगी, जिससे सात लोगों की मृत्यु हो गई और कई अन्य घायल हुए. इस मामले की पुलिस गहन जांच कर रही है. जानकारी के अनुसार, घर में पटाखे बनाने का कार्य किया जाता था. विस्फोट के बाद घर में आग लग गई, जिसके तुरंत बाद दमकल और पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई.

घर में रहते थे कुल 11 सदस्य, 4 लापता

रिपोर्ट के अनुसार, एक घर में 11 सदस्य निवास करते हैं. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इनमें से 4 सदस्य अभी भी गायब हैं. पिछले महीने, नादिया जिले में एक पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट के कारण दो महिलाओं समेत चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी. पुलिस ने बताया कि ये सभी पीड़ित फैक्ट्री के कर्मचारी थे.

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सुवेंदू आदिकारी का बयान

भाजपा के नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु आदिकारी ने जानकारी दी कि 4 फरवरी को पाथरप्रतिमा में एक घटना में चार लोगों की मृत्यु हुई थी. इसके अलावा, 7 फरवरी, 2025 को कल्याणी में हुए विस्फोट में भी चार कीमती जानें गईं, और उसके दो महीने से भी कम समय में एक और ऐसी दुखद घटना घटित हुई है.

गंभीर कार्रवाई से पहले कितनी और जानें जाएंगी

सुवेंदू आदिकारी ने प्रश्न उठाया कि गंभीर कदम उठाने से पहले और कितनी आपदाएं होंगी. उन्होंने डीजीपी से यह जानने की मांग की कि पश्चिम बंगाल राज्य कच्चे बमों के ढेर पर क्यों स्थित है. इसके साथ ही, उन्होंने बताया कि पीड़ितों के परिवारों के लिए 2 लाख रुपए की सहायता की घोषणा की जाएगी, लेकिन एक सप्ताह बाद लोग इस मामले को भूल जाएंगे.

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ऐसी घटनाओं के लिए राज्य में बिल्कुल जवाबदेही नहीं

विधानसभा में विपक्ष के नेता ने टिप्पणी की कि हाल की घटना को लोग जल्दी भूल जाएंगे, जब तक कि अगली आपदा नहीं आती. पश्चिम बंगाल में इस प्रकार की घटनाओं के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं ली जा रही है. ममता बनर्जी को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि पुलिस की कार्यक्षमता बेहद कमजोर है.