हेमंत शर्मा, इंदौर। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित 7 साल का अवनीश अपने पापा के साथ माउंट एवरेस्ट फतह करेगा। इंदौर का 7 साल का अवनीश एवरेस्ट फतह करने वाला इतनी कम उम्र का पहला बच्चा होगा। इसले लिए अवनीश अपने पिता के साथ पिछले 6 महीने से ट्रेनिंग कर रहे हैं। इंदौर (Indore) के रहने वाले शख्स आदित्य तिवारी (Aditya Tiwari) ने बताया कि मैंने अपनी शादी से पहले अवनीश को एडॉप्ट किया था। अवनीश अभी महू आर्मी स्कूल में पढ़ाई कर रहा है। बच्चे को कोई लाचारी की निगाह से ना देखें इसलिए पिता बेटे को एवरेस्ट लेकर जा रहा हैं।

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आदित्य ने कहा कि अवनीश को बचपन से ही डाउंस सिंड्रोम है। मैं उसे ऐसी परवरिश देने की कोशिश कर रहा हूं, जिसमें उसे सहानुभूति या लाचारी का सामना नहीं करना पड़े। 13 अप्रैल को बेटे को लेकर एवरेस्ट ट्रैक के लिए मैं निकलूंगा। यह पहली बार है जब 7 साल का कोई बच्चा एवरेस्ट की चढ़ाई करेगा। नॉर्मल कहे जाने वाले बच्चे जिन्हें कोई बर्थ डिफेक्ट नहीं है, उनमें से भी किसी ने आज तक इस उम्र में एवरेस्ट की चढ़ाई नहीं की है।

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क्या होता है डाउन सिंड्रोम

डाउन सिंड्रोम एक ऐसी समस्या है, जिसमें बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास आम बच्चों जैसा नहीं हो पाता है। 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे को जन्म देने की आशंका अधिक होती है। भ्रूण में क्रोमोजोम की मात्रा ज्यादा होने पर बच्चों में डाउन सिंड्रोम की बीमारी होती है। डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में अल्जाइमर रोग और मिर्गी ज्यादा आते हैं। डाउन सिंड्रोम हर साल पैदा हुए 1000 बच्चों में से एक में होता है।

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डाडाउन सिंड्रोम में पीड़ित बच्चों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और वह सामान्य बच्चे से अलग व्यवहार करता है। डॉक्टरों के मुताबिक 46 क्रोमोसोम के साथ सामान्य रूप से बच्चे पैदा होते हैं। 23 क्रोमोसोम का एक सेट बच्चा पिता से और 23 क्रोमोसोम का एक सेट मां से लेता हैं। डाउन सिंड्रोम के मामले में एक अतिरिक्त क्रोमोसोम आ जाता है। इससे बच्चे के शरीर में क्रोमोसोम की संख्या 47 हो जाती है। इस सिंड्रोम के कारण शारीरिक विकास और मस्तिष्क के विकास के गति धीमी हो जाती है। इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे दिल, सांस संबधी, आंत या कान की बीमारियों के साथ जन्म लेते हैं। इनके बौद्धिक स्तर सामान्य बच्चों की तुलना में काफी कम होता है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे की नाक सामान्य रूप से चपटी, ऊपर की ओर झुकी हुई आंखें, छोटी गर्दन और छोटे कान, मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ, चौड़े हाथ, अपेक्षाकृत छोटी अंगुलियां और छोटे हाथ-पैर, छोटा कद होता है। ड्राउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें सुनने की क्षमता, कानों में संक्रमण, आंखों की कमजोरी, दिल में विकृति, थायराइड, एनीमिया, आंतों में अवरोध, मोटापा आदि शामिल हैं।

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