कुम्हारी। मजदूरों को रोजगार देने की मांग उठाते हुए दुर्ग जिले के कुम्हारी पार्षद निश्चय वाजपेयी ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी को सुझाव भेजा है. पार्षद का कहना है कि करोना महामारी की सबसे बड़ी चोट मजदूरों और कामगारों के रोजगार पर पड़ी है. कुम्हारी पालिका में निवास करने वाली लगभग 85% जनता मजदूर और कामगार वर्ग से है. जहां एक तरफ ज्यादातर लोगों का रोजगार छिन गया है वहीं दूसरी ओर गार्डन और तालाबों के सुधार सहित अन्य विकास कार्यों के लिए बड़ी राशि लगभग 70 करोड़ रुपये के प्रस्ताव स्वीकृत किये गये हैं. इन विकास कार्यों को आसानी से मानव श्रम के माध्यम से कराया जा सकता है. उन्होंने मांग रखी है कि इन कार्यों को मशीनों के बजाय मजदूरों से कराया जाए. इस तरह हम पालिका के सात हजार मजदूर परिवारों में से हर परिवार को लगभग एक लाख रुपये मूल्य का रोजगार दे सकेंगे. इससे पालिका का इलाका भी संवर जाएगा और मेहनतकश लोगों की आर्थिक स्थिति भी.

गौरतलब है कि कुम्हारी पालिका में बड़ी संख्या में विकास कार्य स्वीकृत हुए हैं. जिनमें से सर्वाधिक कार्य पालिका क्षेत्र को सजाने- संवारने के लिए स्वीकृत किये गये हैं. विडम्बना यह है कि जिन पालिका निवासियों के लिये ये सौंदर्यीकरण के कार्य किये जा रहे हैं, उनका जीवन कोरोना आपदा में बुरी तरह उलझ कर रह गया है. ज्यादातर लोगों का रोजगार या तो पूरी तरह छिन गया है या फिर वे आधा-अधूरा रोजगार करने को मजबूर हैं.

कुम्हारी पालिका के अंतर्गत आने वाले पांचो गांव मुख्यतः मजदूर परिवारों के गांव हैं. ऐसे में पालिकावासी अपने परिवारों की जरूरतें पूरी करने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. पार्षद निश्चय वाजपेयी का कहना है कि पुराने समय में जिन तालाबों को मजदूरों ने ही बनाया है. उनका सुधार और सौन्दर्यीकरण तो बहुत आसानी से बिना मशीन के हो जाएगा. बगीचा बनाने का काम भी मानव श्रम से सरलतापूर्वक कराया जा सकता है. भवन आदि बनाने में हमारे लोग बेहद अनुभवी एवं योग्य हैं.

कुम्हारी पालिका के गांवों मे सभी प्रकार का कुशल एवं अकुशल श्रम उपलब्ध है और हमारे मजदूर भाई-बहन पालिका के समस्त विकास कार्य करने में पूरी तरह से सक्षम हैं. यहां करीब 7000 मजदूर परिवार निवास करते हैं और 70 करोड़ से अधिक राशि के कार्य स्वीकृत हो चुके हैं. यदि इन कामों को मजदूरों से कराया जाय तो हर परिवार को लगभग एक लाख रुपये का रोजगार दिया जा सकता है. इससे पालिका का इलाका भी संवर जाएगा और मजदूरों का जीवन भी. ऐसे में पालिका प्रशासन को चाहिये कि वो संवेदनशीलता दिखाते हुए तत्काल मशीनों से काम कराना बंद करा दे और समस्त विकास कार्यों को स्थानीय मजदूरों से कराए.