
साइबर अपराधियों ने एक 70 वर्षीय महिला को धनशोधन के मामले में फंसाने की धमकी देकर मुंबई से दिल्ली तक पांच दिनों तक डिजिटल रूप से कैद रखा. इस अवधि में, ठगों ने महिला को डराकर उसकी दो फिक्स्ड डिपॉजिट तुड़वाई और 29.10 लाख रुपये विभिन्न बैंक खातों में स्थानांतरित करवा लिए. जब जालसाजों ने तीसरी बार पैसे की मांग की, तब महिला को ठगी का एहसास हुआ और उसने रोहिणी साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई.
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पीड़िता आशा वाधवानी के पति भगन दास का पिछले वर्ष निधन हो गया है, और वह रोहिणी सेक्टर 24 में एकल निवास करती हैं. आशा ने बताया कि वह पिछले साल पांच दिसंबर को अपनी मां के पास मुंबई गई थीं. इसी दौरान, 13 दिसंबर को उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से फोन आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया. जालसाज ने आशा को सूचित किया कि उनके आधार नंबर का उपयोग धनशोधन के लिए किया गया है. इसके बाद, उसने महिला से अपनी निर्दोषता साबित करने के लिए कहा और ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी.
संपत्ति का ब्योरा लेने के बाद मांगे रुपये
ठगों ने पीड़िता आशा वाधवानी से फोन पर बातचीत के दौरान 9 नंबर दबाने के लिए कहा. इसके बाद एक अन्य नंबर से व्हाट्सऐप वीडियो कॉल आई, जिसमें एक व्यक्ति की आवाज सुनाई दी, लेकिन उसका चेहरा दिखाई नहीं दिया. ठग ने महिला से उनकी संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी, जिस पर उन्होंने 3.8 लाख और 25.3 लाख रुपये की दो एफडी की जानकारी दी. फिर, 17 दिसंबर को ठगों ने फिर से बुजुर्ग महिला को फोन किया और उनसे 3.8 लाख रुपये की एफडी को नकद कराकर अपने बताए गए बैंक खाते में जमा करने के लिए कहा.
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पीड़िता ने जानकारी दी कि 18 दिसंबर को ठगों ने फिर से वीडियो कॉल किया. उन्होंने दूसरी एफडी की राशि को अपने बताए गए बैंक खाते में जमा करने के लिए कहा, लेकिन कागजी प्रक्रिया के कारण वह एफडी मुंबई से नकद नहीं हो सकती थी. इस स्थिति में, पीड़िता ने 19 दिसंबर को मुंबई से दिल्ली की यात्रा की और बैंक जाकर 25.3 लाख की एफडी तुड़वाकर राशि को ठगों के बताए खाते में जमा कर दिया.
तीसरी बार रुपये मांगने पर हुआ शक
पीड़िता ने जानकारी दी कि जब वह मुंबई पहुंची, तो ठगों ने वीडियो कॉल के माध्यम से पैसे की मांग की. इस पर महिला को संदेह हुआ और उन्होंने अपने दामाद को पूरी घटना के बारे में बताया. इसके बाद, रोहिणी साइबर थाने में ठगी की शिकायत दर्ज कराई गई.
क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल धोखाधड़ी में अपराधी अवैध सामान के पार्सल भेजने, बैंक खाते से अनधिकृत लेनदेन करने या पार्सल के माध्यम से मादक पदार्थों की तस्करी करने का भय दिखाकर लोगों को गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं. ये ठग जांच अधिकारी के रूप में वीडियो कॉल करके व्यक्ति को उसके अपने घर में बंधक बना लेते हैं.
ऐसे कर सकते हैं बचाव
अनचाही कॉल, ईमेल या सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त होने वाले संदेशों से सतर्क रहें. गूगल प्ले स्टोर या एप्पल ऐप स्टोर पर उपलब्ध नहीं होने वाले ऐप्स को डाउनलोड करने से बचना चाहिए.
अपनी व्यक्तिगत वित्तीय जानकारी, जैसे लॉगिन आईडी, पासवर्ड, बैंक विवरण या ओटीपी, किसी के साथ साझा न करें. यदि ऐप वित्तीय सेवाओं से संबंधित है, तो रजिस्ट्रेशन नंबर की जांच अवश्य करें.
निवेश संबंधी सलाह देने वाले व्यक्तियों, समूहों और विशेषज्ञों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए, उनके पास एसईबीआई या आरबीआई द्वारा जारी लाइसेंस की जानकारी अवश्य प्राप्त करें.
यहां करें शिकायत
यदि आपको किसी केस दर्ज करने या गिरफ्तारी के संबंध में डराया-धमकाया जा रहा है, तो कृपया हेल्पलाइन नंबर 1930 पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं. इसके अतिरिक्त, आप वेबसाइट https://cybercrime.gov.in/ पर भी अपनी शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं.
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