रायपुर- जनप्रतिनिधियों की वचनबद्धता निजी स्वास्थ्य सेवा बनाम सरकारी स्वास्थ्य प्रथम के तहत रविवार को मायाराम सुरंजन फाउंडेशन द्वारा एक परिचर्चा आयोजित की गई. इसमें सरकारी, निजी डॉक्टर के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, नेता,  मितानिन व सभी वर्गों के लोग मौजूद रहे. सभी लोगों मिलकर चर्चा किया कि कैसे छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य सेवा को बेहतर किया जाए. आने वाले दिनों में इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी.

बैठक में विक्रम सिंघल ने बताया कि स्वास्थ्य प्रथम के तहत पिछले तीन सालों में छह ब्लाक में अलग-अलग विषयों को लेकर सर्वे किया गया है. इस सर्वे में पाया कि 73 प्रतिशत लोग निजी अस्पताल में इलाज कराते हैं. जबकि बाकि सरकारी अस्पताल में इलाज कराते हैं. इसके कई चौंकाने वाले कारण रिपोर्ट में निकल कर सामने आए हैं. लोगों ने बताया कि सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी,  कर्मचारियों की कमी, दवाई नहीं मिलना व जांच की समस्या गिनाई. इन समस्याओं की वजह से लोग निजी अस्पताल का रूख करते हैं. इससे समझा जा सकता है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवा और निजी स्वास्थ्य सेवा में क्या फर्क है?

सिंघल ने आगे कहा कि अभी छत्तीसगढ़ सरकार जो यूनिवर्सल हेल्थ की बात कह रही है. कुछ वैसा ही हम लोगों की राय है. वैसे ही कार्यक्रम प्रदेश में बननी चाहिए. गरीब वर्ग को मुफ्त सरकारी इलाज की सुविधा मिलनी चाहिए. हमारा मानना है कि सरकारी सुदृढ स्वास्थ्य व्यवस्था आना चाहिए, जिसमें सभी वर्गों को इसका लाभ मिल सके. मुफ्त इलाज की सुविधा सरकारी अस्पतालों में मिलना चाहिए और ये गांवों तक भी पहुंचना चाहिए.

वहीं बंधोपाध्याय ने कहा कि सभी को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो सके, इसकी जवाबदारी सरकार के साथ समाज की भी है. स्वास्थ्य सेवा महंगा होता जा रहा है. इससे आम जनता को नुकसान उठाना पड़ रहा है. देखा जाए तो सरकारी अस्पताल से ही गरीबों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो सकती है. स्वास्थ्य सेवा को पूर्णता की ओर देखने की जरूरत है. ये केवल बीमारी का इलाज या देखभाल से पूर्ण रोकथाम का मामला नहीं है. ये बहुत सारे विषयों पर निर्भर करता है.

भोजन उपर्युक्त, पर्यावरण नहीं मिलेगा तो संतुलित भोजन,  पेयजल स्वच्छ नहीं मिलेगा तो इंसान स्वस्थ्य कैसे रहेगा? बीमारी के पहले रोकथाम नहीं किया जाएगा तो वह अपने आप बीमार पड़ जाएगा. अस्पताल आने बस से ठीक हो जाएगा ऐसी बात नहीं है. बीमारी होने के पहले और बीमारी होने के बाद अलग-अलग विषय है. दोनों पर ही काम करने की जरुरत है.