नई दिल्ली। जिंदगी और मौत के बीच हर कोई फासला चाहता है, लेकिन इसके बाद भी हर किसी को एक न एक दिन मौत आनी है. जिंदगी का एकमात्र सच मौत है, लेकिन जीना हर कोई चाहता है. इसका फायदा बेरहम कोरोना उठा रहा है. लोगों को बेमौत मार रहा है. ये कैसा बेरहम कातिल न रिश्ते-नाते, दुख-दर्द कुछ नहीं देख रहा है. बस एक-एक करके इंसानी जिंदगी के एक-एक पल, एक-एक सांस को समेटते जा रहा है. बस अपने अदृश्य हथियार से लोगों पर कटार चला रहा है. ये जालिम कोरोना हाल ही में यूपी के लखनऊ में एक ही परिवार के 8 लोगों को निगल गया. यह त्रासदी इतनी बड़ी है, जिसे शब्दों में बयां ही नहीं किया जा सकता है. बस अदृश्य काल के आगे अफसोस ही हाथ लग रहा है.
8 लोगों को लील गया ‘कोरोना’
5 लोगों की तस्वीर पर एक साथ श्रद्धांजलि
किसी परिवार ने ऐसी 13वीं शायद ही देखी होगी, जब 5 लोगों की तस्वीर पर एक साथ श्रद्धांजलि दी जा रही है, जिसमें चार सगे भाई हों. लखनऊ के ओमकार यादव के परिवार में यह त्रासदी इतनी बड़ी है, जिसे शब्दों में बयां किया ही नहीं जा सकता है.
लखनऊ से सटे गांव इमलिया पूर्वा गाव में कोरोना की दूसरी लहर एक सैलाब की तरह आई और पूरे परिवार को उजाड़ कर ले गई. हंसते खेलते इस परिवार में 4 औरतें विधवा हो गईं. सोमवार को उनकी 13वीं थी. हालांकि 7 मौत कोरोना संक्रमण से और 1 बुजुर्ग की मौत दहशत में ह्रदय गति रुकने से हुई है.
जानकारी के मुताबिक, 25 अप्रैल से लेकर 15 मई तक एक ही परिवार के 8 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर काल के गाल में समा गए. गांव के मुखिया मेवाराम का कहना है कि इस भयावह घटना के बावजूद भी सरकार की तरफ से ना ही कोई सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई और ना ही कोरोना संक्रमण की जांच अभी तक की गई है.
- निरंकार सिंह यादव, उम्र- 40 साल, मृत्यु- 25 अप्रैल
- विनोद कुमार, उम्र- 60 साल, मृत्यु- 28 अप्रैल
- विजय कुमार, उम्र- 62 साल, मृत्यु- 1 मई
- सत्य प्रकाश, उम्र- 35, मृत्यु- 15 मई
- मिथलेश कुमारी, उम्र-50 साल, मृत्यु- 22 अप्रैल
- शैल कुमारी, उम्र-47 साल, मृत्यु- 27 अप्रैल
- कमला देवी, उम्र- 80 साल, मृत्यु- 26 अप्रैल
- रूप रानी, उम्र- 82 साल, मृत्यु- 11 मई
गांव के मुखिया का कहना है कि यहां पर तकरीबन 50 लोग कोरोना संक्रमित हुए थे. 5 लोगों की मौत भी हो जा चुकी है, लेकिन प्रशासन यहां पर नहीं पहुंचा है. कोरोना संक्रमण ने इस परिवार को मातम से भर दिया. एक परिवार में 8 मौतें हुई हैं. ऑक्सीजन और बेड की जरूरत थी, लेकिन वह भी उपलब्ध नहीं हो पाया. प्रशासन की नाकामी से परिवार में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.
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