गोविंद पटेल, कुशीनगर. आठ साल की अनुष्का पाठक ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में सभी का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कराया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनुष्का को कला और संस्कृति के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार दिया. इस मौके पर अनुष्का पहली बच्ची रही, जिसने लोगों को संबोधित करते हुए सभी को धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जिंदगी जीने के कला समझाया. इस दौरान अनुष्का के चेहरे पर सम्मान की चमक साफ दिखी.

नेबुआ नौरंगिया विकास खंड के सौरहा खुर्द गांव निवासी वशिष्ठ पाठक की आठ बर्षीय पुत्री अनुष्का पाठक जब ढाई साल की थी तभी से उसने कथा सुनना शुरू कर दिया था. उसके बड़े पापा बड़े धार्मिक प्रवृत्ति के हैं और वेद ग्रंथ का हमेशा अध्ययन करते रहते हैं. बचपन से ही यह उनके सानिध्य में रही है, इसलिए उनका असर अनुष्का पर काफी पड़ा. जब बड़े पापा रामचरित्र मानस या अन्य ग्रंथ पढ़कर इसको सुनाते तो मात्र ढाई साल की उम्र में इसने कहा कि मैं भी कथा बोलूंगी. जब उसके पिता वशिष्ठ ने उसकी बात सुनकर कहे कि ठीक है एक कथा बोलो तब उसने इतनी खूबसूरत कथा इतनी छोटी उम्र में बोली कि सब सुनकर आश्चर्यचकित रह गए,इतनी खूबसूरत बोलने की शैली, बोलने का तरीका, संयम व सटीक जानकारी और भाषा का ज्ञान, यह सारी चीज इसकी कथा में देखने को मिली थी. उसके बाद वह श्रीमद् भागवत कथा और रामचरित मानस कथा वाचन में सुर्खियां खुब बटोरी. जो धीरे-धीरे बाल कथावाचिका के रूप में प्रसिद्ध हो गई और विहार, कश्मीर, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली सहित कई प्रदेशों के साथ पड़ोसी देश नेपाल मे भी वह कथावाचक के लिए आमंत्रित की गई है. उसके शानदार वाणी को लेकर कई बार सम्मानित भी कई प्रदेशों मे हो चुकी है।इस बार कला और संस्कृति धार्मिक कथा के लिए अनुष्का पाठक का चयन इस बार बाल पुरस्कार के लिए किया गया.

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सोमवार को राष्ट्रपति भवन मे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनुष्का को गोल्ड मेडल, प्रशस्त पत्र पुरस्कार दिया. जिसके बाद राष्ट्रपति भवन में अनुष्का इस बार सबसे कम उम्र की रही, जिसे पुरस्कार मिला. पहली बच्ची रही जिसने राष्ट्रपति भवन में संबोधित भी किया. उसने लोगों से जिंदगी जीने की कला के बारे मे बताया कि जिंदगी अच्छी तरीके से जीने के लिए हमें भगवान राम से कुछ चीज़ सीखने की आवश्यकता है,जैसे जब उनका राजअभिषेक हो रहा था,तभी वह इतने प्रसन्न नहीं थे, बस चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी और जब दूसरे दिन उन्हें पता चला कि उनको 14 वर्ष का वनवास मिला है, तब भी वह बेचैन नहीं थे,बस चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, किसी भी परिस्थिति में एक समान रहना, आनंद में रहना यही जीवन जीने की कला है. पिता वशिष्ठ पाठक ने बताया कि एक पिता के तौर पर गौरव का पल रहा. अनुष्का पाठक की बदौलत राष्ट्रपति भवन में जाने और देखने का मौका मिला. अनुष्का पाठक को राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री बाल पुरष्कार मिलने को लेकर क्षेत्र के ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि शेषनाथ यादव, प्रधान संघ जिलाध्यक्ष संतोष तिवारी, धीरज तिवारी, विजय यादव, अवधेश शर्मा सहित तमाम क्षेत्रवासियों ने अनुष्का के उज्जवल भविष्य का कामना करते हुए ढेरो शारी शुभकामनाएं ज्ञापित किया है.

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