झारखंड के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में बासी भोजन खाते ही 80 बच्चियां बीमार हो गईं। जानकारी के अनुसार नाश्ते में छिपकली होने की आशंका जताई जा रही है, जिसके चलते यह घटना हुई। इसकी जानकारी लगते ही बच्चियों को उल्टी होने लगी जिसके बाद आनन फानन में सभी को तत्काल सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग के अधिकारी मामले की जांच में जुट गए हैं।
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क्या है पूरा मामला ?
जानकारी के मुताबिक, विद्यालय में बच्चियों ने नाश्ता किया, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। बच्चियों को उल्टी और दस्त की शिकायत शुरू हुई और धीरे-धीरे बीमार बच्चियों की संख्या बढ़ती गई। आनन-फानन में 80 बच्चियों को सदर अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में 50 बच्चियों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया, जबकि 30 बच्चियों का इलाज अभी भी जारी है। कुछ बच्चियों और स्थानीय लोगों ने बताया कि नाश्ते में छिपकली होने की बात सामने आई है, जिसे लेकर जांच शुरू की गई है।
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शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया
जिला शिक्षा पदाधिकारी मिथिला टुडू ने बताया कि प्रारंभिक जांच में फूड पॉइजनिंग की पुष्टि हुई है. सभी बच्चियां खतरे से बाहर हैं और उनका इलाज चल रहा है. उन्होंने कहा, ‘यदि जांच में किसी की लापरवाही सामने आती है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.’ शिक्षा विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित जांच के आदेश दिए हैं.
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छिपकली की अफवाह या हकीकत?
कई बच्चियों और अभिभावकों ने दावा किया है कि नाश्ते में छिपकली थी, जिसके कारण यह हादसा हुआ. हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है. खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने नमूने एकत्र किए हैं और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सटीक कारणों का पता चल सकेगा.
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प्रशासन और नेताओं का हस्तक्षेप
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय विधायक व मंत्री संजय यादव ने अपने पुत्र रजनीश यादव को सदर अस्पताल भेजकर स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने अस्पताल प्रशासन को सभी बच्चियों के बेहतर इलाज के निर्देश दिए. साथ ही, जिला प्रशासन ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए खाद्य सामग्री के नमूने जांच के लिए भेजे हैं.
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पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में फूड पॉइजनिंग के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूलों और छात्रावासों में खाद्य सुरक्षा मानकों की नियमित जांच की कमी इस तरह की घटनाओं का प्रमुख कारण है.
आगे की कार्रवाई
जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने इस घटना को गंभीरता से लिया है. खाद्य सामग्री की गुणवत्ता और रसोई की स्वच्छता की जांच की जा रही है. साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी करने की बात कही गई है.
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