बिलासपुर. संविदा प्रथा समाज के लिए कोड़ के समान है. छत्तीसगढ़ में इस कुप्रथा का अंत होना ही चाहिए, वरना हमारे आनी वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी. हमारे बच्चों को शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए सभी समाज प्रमुखों को आगे आने की जरूरत है. ये बातें संविदा कर्मचारी हड़ताली मंच पर आकर नगर के 80 साल के बुजुर्ग रूपचंद शास्त्री ने कही.
बुजुर्ग के इन शब्दों को सुनकर हड़ताल पंडाल में बैठे संविदा कर्मचारी भावुक हो गए. उन्होंने बारी-बारी से दादा का संबोधन करते हुए आशीर्वाद लिया और उनका अभिनंदन किया. शास्त्री का कहना है कि छत्तीसगढ़ के बेटे बेटियां विगत 20 साल से संविदा कुप्रथा से पीड़ित हैं. अखबार में इनके शोषण प्रताड़ना की कहानी अथवा आत्महत्या जैसी खबरे पढ़ने से मन व्यथित होता है. हम कैसे समाज का निर्माण कर रहे हैं, यह एक चिंतनीय विषय है.
शास्त्री ने कहा, कांग्रेस ने जनघोषणा पत्र में इनसे वादा कर सत्ता में आई है इसलिए यह इनकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि इन बच्चों को इनका अधिकार दिलाएं. ये वही बच्चे हैं, जिन्होंने कोरोना काल में भी प्रदेश के आमजन की सांसों की डोर थामें रखी. इनके समर्पण, त्याग और बलिदान को समाज के सहारे की जरूरत है.
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