शब्बीर अहमद, भोपाल। राजधानी भोपाल के ऐशबाग में बने 90 डिग्री वाले ब्रिज को लेकर कई खुलासे हो रहे हैं। पीडब्ल्यूडी ब्रिज सेक्शन के चीफ इंजीनियर जीपी वर्मा, आरओबी के पूर्व एसडीओ रवि शुक्ला, कार्यपालन यंत्री जावेद शकील, ये इंजीनियर इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे थे। जिनकी लापरवाही की वजह से देश का पहला आरओबी ऐशबाग है जो 90 डिग्री का नायाब ब्रिज बन गया। हैरत की बात यह है कि गलती उजागर होने से पहले ही कार्यपालन यंत्री जावेद शकील का ट्रांसफर भोपाल से बाहर कर दिया गया है। जानिए किसके पास क्या जिम्मेदारी थी?
जीपी वर्मा, चीफ इंजीनियर
आरओबी के निर्माण की हर छोटी, बड़ी दस्तावेजी कार्रवाई से लेकर उनके निर्माण की गुणवत्ता और तकनीकी निर्णय जीपी वर्मा के जिम्मे था। वर्मा की स्वीकृति के बाद आरओबी की डिजाइन मंजूर हुई और निर्माण एजेंसी, कंसल्टेंट का चयन किया गया। अगर वर्मा ने आरओबी की डिजाइन में 90 डिग्री के मोड़ को नजरअंदाज नहीं किया होता, तो यह निर्माण रोका जा सकता था।
जावेद शकील
जावेद शकील ऐशबाग आरओबी ब्रिज निर्माण की शुरुआत में कार्यपालन यंत्री के रूप में पदस्थ थे। उन्हीं की निगारनी में आरओबी का निर्माण किया गया। डिजाइन, ड्राइंग में भी इनका हस्तक्षेप रहा है। कुछ समय पहले इनका तबादला कर दिया गया था। उस समय ट्रांसफर पर भी सवाल उठे थे। आखिर जिस अधिकारी के रिटायरमेंट में सिर्फ 10 महीने बचे हों, उसका तबादला क्यों किया है ? अंदर खाने की खबर है कि अगर जावेद शकील पद पर बने रहते तो मामला और बिगड़ता। इसलिए उनका तबादला पहले ही कर दिया गया।
रवि शुक्ला, एसडीओ, पीडब्ल्यूडी
एसडीओ शुक्ला के पास आरओबी की तकनीकी और निर्माण की गुणवत्ता की जांच और परीक्षण की जिम्मेदारी थी। शुक्ला प्रोजेक्ट शुरु होने से आखिरी तक यहां कार्यरत रहे। ज्यादातर काम उनकी देखरेख में ही पूरा हुआ। इस आरओबी की तकनीकी खामी भरी डिजाइन को स्वीकृति देने वाली तकनीकी टीम में शुक्ला की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
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