नई दिल्ली। कोविड-19 वायरस अभी तक मुख्य रूप से सांस संबंधी बीमारियों में ही अधिक खतरनाक माना जा रहा था, मगर अब विशेषज्ञों का कहना है कि मध्यम से गंभीर संक्रमण वाले लगभग 90 प्रतिशत लोगों के हृदय पर इसका स्थायी प्रभाव पड़ता है. वैसे तो कोविड सबसे अधिक फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन ताजा अध्ययनों से पता चला है कि कोविड-19 के कारण हृदय संबंधी जटिलताओं के मामले भी बढ़ रहे हैं. वायरस तीव्र मायोकार्डियल इंजरी और हृदय प्रणाली को पुरानी क्षति का कारण बन सकता है.

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महामारी के दौरान यह देखा गया है कि दिल के दौरे और हार्ट फेल की घटनाएं अधिक हुई हैं और हृदय रोग से होने वाली मौतों में भी काफी वृद्धि हुई है. शोध से यह भी पता चला है कि जिन लोगों को कोविड-19 हुआ है, उन पर स्थायी हृदय प्रभावों के बारे में अभी भी बहुत कुछ देखा जाना बाकी है. कुछ मामलों में रोगियों को दिल की क्षति के लक्षणों के साथ छोड़ दिया जाता है, जिन्हें निरंतर निगरानी की आवश्यकता हो सकती है. नई दिल्ली स्थित जीबी पंत अस्पताल में कार्डियोलॉजी प्रोफेसर डॉ. (प्रो) मोहित गुप्ता ने कहा कि सभी रोगियों में से जो मध्यम से गंभीर कोविड से पीड़ित हैं, उनमें से 80 से 90 प्रतिशत को हृदय की दिक्कत देखने को मिली है. डॉ मोहित गुप्ता ने कहा कि कोविड के ठीक होने के बाद के रोगियों में हृदय और फेफड़े प्रभावित होते हैं और 15-30 प्रतिशत रोगी इससे प्रभावित होते हैं.

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कोरोना वायरस में कुछ सामान्य लक्षण लंबे समय तक चलने वाले हैं- जैसे कि धड़कन से जुड़ी दिक्कत, चक्कर आना, सीने में दर्द और सांस की तकलीफ आदि हृदय की समस्याओं के कारण हो सकते हैं. कार्डियोलॉजी प्रोफेसर डॉ मोहित गुप्ता ने हृदय स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए एक अच्छा आहार, व्यायाम और आराम बनाए रखने का सुझाव दिया. मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के चेयरमैन, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ पुरुषोत्तम लाल ने कहा कि दिल को स्वस्थ रहने के लिए एक आदर्श वजन बनाए रखना, कैलोरी बर्न करना, व्यायाम करना और धूम्रपान से बचना अनिवार्य है. इसके साथ ही उन्होंने सलाह दी कि तनाव दूर करने के लिए योग करें. उन्होंने महामारी के दौरान समय पर और नियमित रूप से दिल की जांच करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, क्योंकि कार्डियक अरेस्ट के मामलों में काफी वृद्धि हुई है.