इंद्रपाल सिंह, इटारसी (नर्मदापुरम)। चुनाव आते ही लोगों की समस्या भी सामने आने लगती है। सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर लोग आंदोलन करने को मजबूर दिखाई देते हैं। ऐसा ही एक मामला नर्मदापुरम जिले के इटारसी (Itarsi) के विस्थापित वनग्राम साकई और झालई का सामने आया है। यहां 6 सालों से विस्थापित आदिवासी परिवार प्रशासन ने सड़क की मांग (Road Demand) कर रहे हैं। अब तो आदिवासी परिवारों ने दोनों ग्राम के बाहर “रोड नहीं तो वोट नहीं” (No Road No Vote) के बैनर-पोस्टर लगा दिए हैं।

6 साल पहले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व सोहागपुर ब्लॉक से करीब 150 आदिवासी परिवारों को जंगल से निकालकर इटारसी के जमानी में विस्थापित किया गया था। जमानी के पास सतपुड़ा टाइगर रिजर्व द्वारा साकई और झालई वनग्राम विस्थापित किया गया था। छह सालों में वन विभाग ने आदिवासियों को जगह मकान तो दे दिए, लेकिन सड़क का निर्माण अभी तक नहीं कराया।

आसमान से गिरे 3 रहस्यमयी गोले! ग्रामीण बोले- चकरी की तरह घूमते हुए गिरे, दहशत का माहौल

ग्रामीणों को 7 किलोमीटर की कच्ची सड़क पर कई कठनाईयों का सामना कर आवगमन करना पड़ रहा है। बारिश में सड़क की यह स्थिति हो जाती है कि कई दिनों तक इस सड़क पर चलना बहुत मुश्किल हो जाता है। जबकि छह सालों से आदिवासी प्रशासन से पक्की सड़क की मांग कर रहे हैं। इसके बाद भी सड़क का निर्माण कार्य नहीं कराया जा रहा है।

एक्शन मोड में कलेक्टर: गाड़ी रोक कर ग्रामीणों की सुनी फरियाद, रोजगार सहायक पर तत्काल लिया एक्शन

बारिश के मौसम में कच्ची सड़क दलदल में तब्दील हो जाती है। सड़क की ऐसी स्थित हो जाती है कि गांव में कोई गंभीर बीमार हो जाए तो एम्बुलेंस का ड्राइवर भी गांव में आने से मना कर देते हैं। गांव से 7 किलोमीटर दूर स्थित जमानी गांव में स्कूल जाने में भी छात्र छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हाथ में जूते, चप्पल रख छात्र छात्राओं को दलदल भरी सड़क पार कर स्कूल पहुंचना जाना पड़ता है।

कार पलटने से एक की मौतः कुत्ते को बचाने के चक्कर में हुई दुर्घटना, देवी का दर्शन कर लौट रहे थे 4 लोग

सब परेशानियों को झेलते हुए इस साल आदिवासी परिवारों ने सरकार और शासन के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए रोड नहीं तो वोट नहीं के बैनर-पोस्टर पूरी गांव में लगाकर चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। गांव के बाहर आदिवासियों ने “रोड नहीं तो वोट नहीं” के बैनर पोस्टर लगा दिए है। अब देखना यह होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव के पहले आदिवासियों की सड़क की मांग को शासन-प्रशासन पूरा करता है या नहीं।

Contempt of Court: हाईकोर्ट ने तत्कालीन कलेक्टर और ADM को सुनाई सजा, कुछ ही घंटों में मिल गई राहत, जानिए क्या है पूरा मामला ?

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus