नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता की गर्भपात कराने की याचिका को 12 दिनों तक टालने पर गुजरात हाईकोर्ट के प्रति नाराजगी जताई. अदालत ने कहा, तथ्यों से जाहिर है कि मामले में हर एक दिन की देरी महत्वपूर्ण थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसकी अनदेखी की.
पीड़िता ने हाईकोर्ट से 26 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने की अनुमति मांगी थी. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले में सुनवाई स्थगित किए जाने से बहुमूल्य समय बर्बाद हुआ. जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और उज्जल भुइयां की पीठ ने शनिवार को अवकाश के दिन मामले की विशेष सुनवाई करते हुए कहा, ऐसे मामलों में तात्कालिकता की भावना होनी चाहिए, न कि किसी सामान्य मामले जैसा. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करने का न तो कारण बताया और न आदेश अब तक हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया.
सभी तथ्यों को देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब एक बार फिर से पीड़िता के स्वास्थ्य की जांच करने और रविवार शाम तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. साथ ही कहा, मामले की सुनवाई सोमवार को की जाएगी. कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है.