भोपाल। सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी की वादियों में मौजूद प्रसिद्ध नागराज के दर्शन करने के लिए नागद्वारी यात्रा होती है, इस बार यात्रा 12 से 22 अगस्त तक आयोजित की जा रहा है. अभी चार लाख से ऊपर श्रद्धालुओं ने दर्शन कर चुके हैं. ऐसा माना जा रहा है कि 21 अगस्त नाग पंचमी के दिन संख्या और अधिक बढ़ जाएगी.

यह यात्रा नागफनी से शुरू होती है, जो 15 किलोमीटर की है. इस दौरान सात पहाड़ों को चढ़कर लोग मंदिर तक पहुंचते हैं. सावन के महीने में मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु यहां पर पहुंचते हैं.

केवल 10 दिन का सफर

नागद्वारी गुफा का यह हिस्सा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में आता है. यही वजह है कि यहां पर श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित होता है. साल में सिर्फ 10 दिन यह मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुलता है. अलावा बाकी समय यहां पर रिजर्व फॉरेस्ट प्रबंधन द्वारा गेट बंद कर दिया जाता है. इस मंदिर का रास्ता काफी दुर्गम है इसलिए यहां जाने वाले पर्यटकों को हर कदम बहुत संभल संभल कर रखना पड़ता है.

दुर्गम स्थान पर है मंदिर

सतपुड़ा की पहाड़ियों में बेहद दुर्गम स्थान पर नागद्वार स्वामी का मंदिर हैं. संतान उत्पत्ति के साथ ही संतान संबंधी परेशानी को लेकर लोग उनके दरबार मे माथा टेकते हैं. इस मेले का पौराणिक महत्व भी काफी गहरा है. देवाधिदेव महादेव की नगरी पचमढ़ी में हर साल मेले का आयोजन किया जाता है, जो अपनी दिव्यता के लिए पहचाना जाता है.

होती है संतान की प्राप्ति

पौराणिक महत्व के मुताबिक, ऐसा बताया जाता है कि यहां बैठे नागराज के दर्शन बाबा अमरनाथ के दर्शन के बराबर होते हैं. साथ ही नागद्वारी मंदिर में दर्शन करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलने के साथ व्यक्ति को संतान की प्राप्ति होती है.