कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर के नाम एक नया मुकाम जुड़ गया है। दरअसल, यूनेस्को ने देश में वाटर मैनेजमेंट सिस्टम के लिए ग्वालियर का चयन किया है। देश में पहली बार वाटर मैनजमेंट का डाटा एकत्रित कर पोर्टल तैयार किया जाएगा। यह काम पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक साल में होगा।
यूनेस्को ने इसके लिए ग्वालियर को चुना है। यूनेस्को की टीम ग्वालियर के बांध, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट आदि का डाटा एकत्रित करेगी। यूनेस्को और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ अफेयर इस पायलट प्रोजेक्ट पर काम करेंगे।
ग्वालियर को बतौर पायलेट प्रोजेक्ट चुना जाने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता और सिंधिया रियासत के तत्कालीन महाराज को याद करते हुए कहा कि उस दौर में माधव महाराज के समय में एक नवीन ग्वालियर को बसाया गया था। सामाजिक, स्वास्थ्य और चिकित्सा के दृष्टिकोण के आधार पर पानी की व्यवस्था के आधार पर वाटर मैनेजमेंट और कृषकों के लिए भी जो बांध बनाए गए थे। आज तक डेढ़ सौ साल बाद भी उसी का अमृत हम सब ग्वालियर वासी पी रहे है।
चंबल अंचल के साथ ही मंदसौर नीमच, शाजापुर तक उसी का लाभ आज भी जनता ले रही है। यह दूर दृष्टिकोण उनकी थी। उसी दूर दृष्टिकोण के साथ आज हमारी सरकार भी उसी रास्ते पर पूर्ण रूप से संकल्पित होकर आगे बढ़ रही है। सिंधिया ने कहा कि मैं बधाई देना चाहता हूं यूनेस्को द्वारा जो एक मान ग्वालियर और समुचित क्षेत्र को दिया गया है। इससे उत्साह भी बढ़ेगा और तीव्र गति से हम लोग कार्य करने के लिए संकल्पित हो सकेंगे।
गौरतलब है कि ग्वालियर में 100 साल से ज्यादा पुराना तिघरा जलाशय क्षेत्र की प्यास बुझा रहा है। ग्वालियर की नगर निगम वाटर ट्रीटमेंट के साथ ही सीवर ट्रीटमेंट पर काम कर रही है। यही वजह है कि ग्वालियर को यूनेस्को ने चुना है।
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