छत्तीसगढ़ में अब महिलाओं और युवाओं के सपने साकार होने लगे हैं. भूपेश सरकार महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) के माध्यम से महिलाओं और युवाओं को रोजगार के सुनहरा अवसर देने का काम कर रही है. शासन के इन प्रयासों से उद्यमी आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं. साथ ही आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं.

राज्य के नवगठित मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के परसगढ़ी ग्राम के रीपा में काम करने वाली दीदियां स्टेशनरी सामग्री बना रही हैं. रीपा में स्थापित स्टेशनरी-प्रिंट यूनिट में शिव महिला स्व-सहायता समूह के 7 दीदियां काम कर रही हैं. समूह की अध्यक्ष रनिया सिंह बताती हैं कि वे कॉपी, फाइल, पेड जैसी विभिन्न स्टेशनरी सामग्री बनाने का काम करते हैं. रीपा में तैयार उत्पाद सामग्री को सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों, स्कूल, शाला-आश्रमों में मांग के मुताबिक उपलब्ध कराया जाता है. उन्होंने बताया कि अब तक समूह 40 हजार 560 रुपये का सामान बेच चुकी हैं. इससे उन्हें 18 हजार 210 रुपये की शुद्ध आमदनी हुई है.

समिति की सचिव सुमित्रा सिंह बताती हैं कि वे लोग पिछले 3 महीने से इस काम को कर रहे हैं. सामग्री बेचने के लिए हम लोग मार्केटिंग भी कर रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी मिले और समूह को ज्यादा ऑर्डर मिलें. इन प्रयासों से हमें स्थानीय बाजार और कार्यालयों से अच्छा रिस्पॉन्स मिला है. उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर भी सराहना मिल रही है. समिति के सदस्यों का कहना है कि रीपा के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति मिली है. रीपा में स्थानीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुरूप व्यवसाय को बढ़ावा दिया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका मूलक गतिविधियों से ग्रामीणों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर भी सृजित हो रहे हैं.