सीमा पार से घुसपैठ रोकने के लिए अब भारतीय सेना आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद लेगी। एआई से लैस स्वदेशी ड्रोन सरहद की निगरानी करेंगे।
खास बात यह है कि इससे इजराइल पर भारतीय सेना की निर्भरता भी खत्म होगी क्योंकि अब तक पाक-चीन सीमा पर इजरायल निर्मित ड्रोन का ही इस्तेमाल हो रहा है। एआई तकनीक वाले अत्याधुनिक ड्रोन डीआरडीओ के सहयोग से बनाए जा रहे हैं।
चंडीगढ़ स्थित डीआरडीओ की प्रयोगशाला में पहले ही आधुनिक तकनीक से लैस रुस्तम यूएवी का निर्माण हो चुका है, जिसका इस्तेमाल सेना कर रही है। ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से लगातार नशा और अवैध हथियारों की तस्करी हो रही है। इससे निपटने के लिए सेना ने अब नई तकनीक अपनाने की तैयारी कर ली है।
जीरकपुर स्थित इंजीनियर ब्रिगेड के एक उच्च सैन्य अधिकारी ने बताया कि सेना डीआरडीओ की मदद से एआई तकनीक अपना रही है, जिसकी मदद से सरहद पर निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जाएगा। भारत-पाकिस्तान और चीन सीमा पर एआई तकनीक से लैस आधुनिक ड्रोन भारतीय सेना के ‘कवच’ बनेंगे। इन ड्रोन के जरिए न केवल सीमा पार से हो रही आतंकी घुसपैठ पर निगरानी रखी जा सकेगी बल्कि घुसपैठियों को मुंहतोड़ जवाब भी दिया जाएगा।
सैन्य सूत्रों के मुताबिक, ये ड्रोन आधुनिक हथियारों के साथ अब पहाड़ी और जटिल क्षेत्रों की निगरानी में काफी मददगार साबित होंगे। सरहद पर पाक और चीन ड्रोन का उपयोग जासूसी के लिए भी कर रहे हैं। दोनों देशों द्वारा सैन्य प्रतिष्ठानों सहित अन्य बुनियादी ढांचे और संवेदनशील जानकारियां एकत्रित करने की नाकाम कोशिश की जाती है। वहीं, एआई के जरिए भारतीय सेना सीमा पार हो रही गतिविधियों का सटीक विश्लेषण कर रही है, जिससे निगरानी तंत्र मजबूत हो रहा है।
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