कई बार व्यक्ति बहुत सक्षम होते हुए भी गलत का विरोध नहीं कर पाता. लेकिन वहीं पर कुछ बहुत सामान्य लोग भी अपना विरोध दर्ज करा लेते हैं. अपनी बात दमदारी से रखने का हुनर हर किसी के पास नहीं होता. अपनी अलग सोच या विचार रखना और उसे व्यक्त करना इतना आसान नही होता. व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो इसका कोई कारण नजर नहीं आता कि ऐसा क्यों है. लेकिन अगर हम इसे ज्योतिषी नजरिए से देखें तब किसी जातक की कुंडली में स्पष्ट दिखाई देता है.

किसी जातक की कुंडली में अगर लग्न, तीसरे या एकादश स्थान पर सूर्य हो तो व्यक्ति अपनी अलग सोच का होता है. उसे अपनी बात कहने और मनाने में कोई झिझक नही होती. इसी प्रकार अगर इस स्थान पर सूर्य हो या इस स्थान के स्वामी ग्रह के साथ सूर्य हो या इस स्थान पर दृष्टि हो तो भी इसका असर होता है.

यदि इस स्थान पर सूर्य या क्रूर ग्रह राहु के साथ हो जाये तो फिर इसका विपरीत असर भी दे सकता है. मंगल, गुरु, बुध जैसे ग्रहों का असर प्रभाव बढ़ा सकता है, तो चंद्रमा और शनि जैसे ग्रहों का साथ या दृष्टि असर कम भी कर सकता है. इस प्रकार प्रभावशाली व्यक्तित्व बनाना हो तो सूर्य को अनुकूल करना जरुरी है और इसके लिए सूर्य की उपासना करना, आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना, सूर्य नमस्कार करना या बीज मन्त्र का जाप करना, गेहूं का दान करना, गाय को मीठी रोटी खिलाना चाहिए.