मनोज यादव, कोरबा। जिले के शहरी क्षेत्रों में संचालित स्वास्थ्य केंद्रों के कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी के प्रति किस कदर लापरवाह बने हुए हैं, इसका ताजा मामला ढ़ोढ़ीपारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से आया है. जहां स्वास्थ्य कर्मियों की लापारवाही से एक नवजात बच्चे की मौत हो गई. बच्चे की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने स्वास्थ्य केंद्र में जमकर हंगामा किया. मामले में परिजनों ने विभागीय अधिकारियों से शिकायत करने की बात कही है.
अपने हाथों में नवजात बच्चे के शव को लेकर बिलख- बिलख कर रो रहे युवक का नाम प्रकाश कुमार है. कोहड़िया इलाके में रहने वाला प्रकाश ने यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जन्म के बाद ही उसके वंश का चिराग उससे हमेशा के लिए दूर हो जाएगा. प्रकाश ने यह सोचकर अपनी गर्भवति पत्नी दिव्या को ढोढ़ीपारा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया था कि स्वास्थ्य कर्मी अपनी जिम्मेदारियों का बेहतर ढंग से निर्वहन करेंगे और पत्नी का सफल प्रसव करवाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अंत में सामान्य प्रसव के प्रयास में हालात बिगड़ते चले गया और अंत में ऑपरेशन के जरिए बच्चे को बाहर निकाला गया.
जन्म के बाद ही बच्चे की हालत बिगड़ते चली गई. परिजन अस्पताल की चिकित्सक को बुलाने मिन्नते करते रहे लेकिन बहाने बनाकर चिकित्सक मौके पर नहीं पहुंचे. अंत में स्वास्थ्य कर्मियों ने अपने हाथ खड़े कर दिए और जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी. मरता सो क्या ना करता प्रकाश ऑटो में लेकर अपने नवजात बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा लेकिन ऑक्सीजन मास्क नहीं लगाए जाने के कारण नवजात बच्चे की मौत हो गई.
मामले में कहा जा रहा है कि अस्पताल की चिकित्सक अंजू राठौर की गैरमौजूदगी में नर्स उमा रात्रे ने प्रसव की जिम्मेदारी संभाली लेकिन इस प्रयास में वह असफल रही. नवजात की मौत होने के बाद परिजनों ने मौके पर जमकर हंगामा किया. लोगों के आक्रोश को देखते हुए चिकित्सक जब मौके पर पहुंची तब उसे जाकर खरी खोटी सुननी पड़ी. अस्पताल कर्मियों की लापरवाही से नाराज परिजन उनकी शिकायत विभागीय अधिकारियों से करने की बात कह रहे हैं.
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