सत्यपाल राजपूत, रायपुर. छत्तीसगढ़ के 23 जिलों में डेंगू पैर पसार चुका है. इससे मौता का सिलसिला भी लगातार जारी है. प्रदेश में अब तक करीब 247 मरीजों की पहचान हो चुकी है. महामारी नियंत्रक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि मामले को लेकर मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी से बात हुई है. जांच कर रिपोर्ट मंगाई गई है. मौत डेंगू से हुई या और कुछ कारण इसकी जानकारी रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा. तो वहीं लोगों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि टेस्ट कराएं, सरकारी हॉस्पिटल में नि:शुल्क जांच की व्यवस्था है.

बता दें कि डेंगू के बढ़ते मरीजों को देखते हुए रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर ने स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष नागभूषण राव, आयुक्त मयंक चतुर्वेदी सहित नगर निगम मुख्यालय में नगर निगम के उपायुक्त स्वास्थ्य ए. के. हालदार, सभी जोन कमिश्नरों, जोन स्वास्थ्य अधिकारियों, सहायक जोन स्वास्थ्य अधिकारियों की बैठक लेकर 29 अगस्त से एक सप्ताह तक सभी 10 जोनों के समस्त 70 वार्डों को कव्हर करते हुए व्यापक स्तर पर मच्छर जनित रोग डेंगू के प्रति बचाव एवं जनजागरूकता लाने जनहित में जनस्वास्थ्य सुरक्षा बाबत विशेष अभियान चलाते हुए घर -घर जाकर विंडो कूलरों में भरा पानी तत्काल खाली करवाने और बुखार पीड़ितों की जानकारी प्राथमिकता से प्राप्त करने के निर्देश दिये हैं. सभी राजधानीवासियों को घरों में मनी प्लांट सहित पौधों में, टायरों में, टूटे हुए बर्तनों में घरों में एवं आसपास कहीं भी पानी का जमाव या ठहराव नहीं होने देने के लिए जागरूक बनाने सहित गुणवत्तायुक्त व्यापक एन्टी लार्वा ट्रीटमेंट के साथ फॉगिंग अभियान मच्छरों पर कारगर नियंत्रण के लिए व्यवस्थित तौर पर नागरिकों के बीच चलाने के निर्देश दिया है.

मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी रायपुर ने कहा कि रायपुर जिले में अभी तक डेंगू बुखार के कारण किसी मरीज की मौत नहीं हुई है. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जिले में डेंगू को लेकर सजग और सतर्क हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिले में अभी तक बुखार के 265 मरीजों का एलाईजा टेस्ट डेंगू की पुष्टि के लिए कराया जा चुका है. जिसमें से केवल 08 मरीज ही डेंगू से संक्रमित मिले है. संक्रमितों का ईलाज विभिन्न अस्पतालों में तेजी से जारी है.

स्वास्थ्य विभाग के मिली जानकारी के अनुसार जिस भी इलाके में बुखार के अधिक संख्या में मरीजों की सूचना मिल रही है, वहां शिविर लगा कर डेंगू की जांच और उपचार किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की जानकारी के अनुसार जिले में अभी तक किसी भी मरीज का निधन डेंगू से नही हुआ है. डेंगू से मौत के कथित दो मरीजों को बुखार आने पर ईलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती कराया गया था. दोनों ही मरीजों का डेंगू की पुष्टि के लिए एलाईजा टेस्ट नहीं हुआ था. एक मरीज नारायणा अस्पताल में ईलाज के लिए भर्ती हुए थे. मरीज के फेफड़ों में संक्रमण और बैैक्टीरियल इंफेक्शन था. हालत गंभीर होने पर अस्पताल द्वारा उचित ईलाज किया जा रहा था. ईलाज के दौरान ही मरीज की मृत्यु हुई. वहीं कुशालपुर निवासी अन्य मरीज को भाठागांव के दीवान अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था. भर्ती कराने के चार दिन बाद ही मरीज के परिजन डॉक्टरों की सलाह बिना और डॉक्टरों को बताए बिना ही मरीज को अस्पताल से ले गए. इसके बाद परिजनों ने मृतक के बारे में कोई भी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देने से इंकार कर दिया. स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि दोनो ही मृतक मरीजों में डेंगू होने की पुष्टि नहीं हुई है.

अब सवाल यह उठ रहा है कि एंटीजेन पॉजिटिव को डेंगू स्वास्थ्य विभाग नहीं मानती है तो आखिरकार की जांच क्यों की जाती है? जब मरीजों को डेंगू है ही नहीं तो प्राइवेट हॉस्पिटल में डेंगू हुआ है बोलकर इलाज क्यों किया जाता है? इलाज डेंगू का दिया जाता है मौत के बाद डेंगू नहीं माना जाता है यह कैसी विडंबना है ? जब स्वास्थ्य विभाग कहता है की एलाइजा टेस्ट के बगैर डेंगू नहीं मानते हैं तो एंटीजेन में डेंगू बताकर इलाज करने वाले हॉस्पिटल पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है ? आखिरकार स्वास्थ्य विभाग प्रामाणिक तौर पर दिशा निर्देश जारी क्यों नहीं करता है ?

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