नीलेश भानपुरिया,झाबुआ। मध्य प्रदेश के झाबुआ (Jhabua) जिला मुख्यालय से सटे ग्राम धरमपूरी में बना बैराज स्थानीय ग्रामीणों के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है। अपनी जान जोखिम में डाल कर अपने खेतों तक पहुंचने को मजबूर है। ट्यूब पर खटिया बांधकर तैयार की गई जुगाड़ की नाव पर दूसरे किनारे पर पहुंचते है। अनहोनी और हादसे के साये में परिवार पालने की चिंता में 3 साल गुजर गए, लेकिन आदिवासी ग्रामीणों को अब तक आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।

मीरा बाई पिछले 3 सालों से ऐसे ही अपनी जान हथेली पर रखकर बैराज का बैक वाटर पार कर रही है। खेतों की चिंता और परिवार पालने की मजबूरी के आगे मीरा के लिये यह जोखिम बुहत कम है। दरअसल, 3 साल पहले ग्राम धरमपूरी स्थित अनास नदी पर झाबुआ शहर की पेयजल योजना के लिये 30 करोड़ की लागत से बैराज बनकर तैयार हुआ। जिसे बीते 3 सालों से भरा जा रहा है।

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17 मीटर ऊंचे इस बैराज का दायरा 11 किलोमीटर तक फैला हुआ है। यही कारण है कि आसपास का इलाका बैक वाटर के चलते डूब गया। अपने खेतों पर पहुंचने के लिए महज 200 मीटर की दूरी तय करने के लिये किसान जुगाड़ की नाव का सहारे अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर है। ऐसा न करने पर उन्हे 8 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना होता है। बैराज के निर्माण से ही ग्रामीण पुल निर्माण की मांग कर रहे है, लेकिन उन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।

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वहीं जिला पंचायत सीईओ रेखा पंकज राठौर ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। नदी के ऊपर बन रहा पुलिया अगर बड़ा है तो नगर ब्रिज कॉर्पोरेशन को भेजेंगे। जैसे भी होगा अपने स्तर पर जल्द से जल्द इस समस्या का निराकरण करेंगे।

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