नई दिल्ली . राजधानी दिल्ली में कुत्ता पालने पर उसका पंजीकरण करवाना अनिवार्य है. ऐसा न करने पर कुत्ते के मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करने का प्रावधान है. कई बार लोग इसमें लगने वाले समय और अधिकारियों की मंजूरी के लिए निगम (MCD) के कार्यालय के चक्कर लगाने की फजीहत से बचने के लिए ‘डॉग पंजीकरण’ कराना से बचते हैं. अब ऐसा करने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
हालांकि, अब ‘डॉग पंजीकरण’ सर्टिफिकेट के लिए आपको निगम और अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी. दरअसल, दिल्ली नगर निगम (MCD) आज यानी 31 अगस्त को निगम सदन में डॉग पंजीकरण के लिए नई नीति वाला प्रस्ताव लाने जा रही है, जिसके बाद, दिल्ली में डाग पंजीकरण के लिए उच्च अधिकारियों के मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ेगी. पंजीकरण के लिए निगम की आधिकारिक वेबसाईट पर आवेदन करते ही, ‘डॉग पंजीकरण’ सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाएगा. हालांकि, निगम की तरफ से बाद में इसकी जांच की जाएगी और उसमें गलत जानकारी पाये जाने पर पंजीकरण सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया जाएगा.
शुल्क होगा एक समान
इस प्रस्ताव के तहत, ‘डॉग पंजीकरण’ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन के बाद क्षेत्रीय अधिकारियों की मंजूरी की आवश्यकता को खत्म कर दिया जाएगा. आवेदन करते ही यह सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाएगा. वहीं इस नए प्रस्ताव के बाद, पंजीकरण के लिए निगम द्वारा लिया जाने वाला शुल्क भी एक समान हो जाएगा. निगम के एकीकरण के बाद अब तक शुल्क एक समान नहीं हुआ था. इससे पहले, पूर्वकालिक उत्तरी निगम में यह शुल्क 50 रुपये था. अब इसे दक्षिणी और पूर्वी निगम की तरह 500 रुपये कर दिया जाएगा.
बता दें कि दिल्ली में कुत्ता पालने पर उसका पंजीकरण अनिवार्य है. ऐसा न करने पर कुत्ते के मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है. एक आंकड़े के मुताबिक, दिल्ली में प्रति वर्ष औसतन तीन हजार कुत्तों का पंजीकरण होता है.
दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 के तहत पालतू कुत्तों का पंजीकरण अनिवार्य है, लेकिन यह देखा गया है कि नागरिक अपने पालतू कुत्तों के पंजीकरण नहीं कराते हैं. उन्होंने कहा कि हम नागरिकों से अपील करते हैं कि वे अपने पालतू कुत्तों का जल्द से जल्द पंजीकरण कराएं. नहीं तो कार्रवाई की जाएगी.
क्यों जरूरी है पंजीकरण
अधिकारी ने कहा कि उन्होंने कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने में सहायक है कि पालतू कुत्तों का रेबीज वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण किया गया है. साथ ही पालतू कुत्ते के मालिकों का एक डेटाबेस तैयार होता है, अवैध कुत्ते प्रजनन (डॉग ब्रीडिंग) नियंत्रित होगा. इतना ही नहीं पंजीकरण संख्या से लापता पालतू कुत्तों का पता लगाने में मदद मिल सकती है.