प्रतीक चौहान. रायपुर. रायपुर रेलवे स्टेशन में पिछले लगभग 30 साल से एक ही कंपनी को टी स्टॉल, पूड़ी-सब्जी और फल का ठेला चलाने का लाइसेंस मिला हुआ है और ये लगातार एक्सटेंशन होते जा रहा है. इसके पीछे की वजह कोर्ट का आदेश बताया जाता है.
लेकिन एक आरटीआई कार्यकर्ता ने जब इस ठेके के संबंध में रायपुर रेल मंडल से जानकारी मांगी तो पैसे लेने के बाद भी वे जानकारी देने में आना-कानी कर रहे है. आरटीआई लगाने वाले ऋषि उइके कहते है कि रायपुर रेल मंडल के कमर्शियल विभाग से उन्होंने उक्त कंपनी के ठेके के संबंध में जानकारी मांगी.
विभाग ने करीब 2 हजार रूपए बतौर जानकारी की फीस उनसे जमा भी करवा ली, लेकिन अब कमर्शियल विभाग जानकारी देने में आना-कानी कर रहा है. जब भी वे विभाग के अधिकारियों से जानकारी मांगते है उन्हें ये जवाब मिलता है कि जानकारी एकत्र की जा रही है, लेकिन सवाल ये है कि जब जानकारी एकत्र ही नहीं की गई थी कि जानकारी के पैसे किस आधार में जमा करवाए गए ?
1992 से 2016 तक की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं
विभाग ने आरटीआई के आवेदन पर ये जवाब दिया है कि रायपुर रेल मंडल के पास 1992 से लेकर 2016 तक की कोई भी जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है. हैरानी की बात ये है कि उक्त दस्तावेजों के आधार पर ही विभाग ने नया एग्रीमेंट बनाया होगा, क्योंकि 1992 के बाद से रायपुर रेलवे स्टेशन में 14 स्टॉल और 10 पूड़ी सब्जी और फल ट्राली है.
बता दें कि जिस कंपनी के पास वर्तमान में इसका ठेका है उसका नाम सन शाईन केटर्स प्राइवेट लिमिटेड है जो 2010 से पहले मेसर्स आरके अग्रवाल एंड संन्स का था.
उक्त दोनो कंपनी रेल नीर घोटाले से जुड़े परिवारों की बताई जाती है.